विदिशा छात्रावास में गूंजे 'जय भीम' के नारे, बाबा साहब की जयंती पर भावपूर्ण आयोजन।
ओबीसी एवं अनुसूचित जाति-जनजाति छात्रावासों की अधीक्षिकाओं की उपस्थिति में डॉ. भीमराव आंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित, छात्राओं ने किया दीप प्रज्वलन व संविधान पर चर्चा।
विदिशा:
जिले के शासकीय कन्या अनुसूचित जाति छात्रावास में भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक गरिमामयी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर ओबीसी छात्रावास की अधीक्षिका रजनी मेम, अनुसूचित जाति छात्रावास की अधीक्षिका सुषमा मेम एवं नीलू मेम की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का उद्देश्य बाबा साहब के जीवन, उनके योगदान और उनके द्वारा रचित भारतीय संविधान की महत्ता को विद्यार्थियों तक पहुँचाना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. आंबेडकर जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। उपस्थित छात्राओं ने पूरे श्रद्धा भाव से पूजन अर्चन किया और 'जय भीम जय भीम' के नारों से परिसर को गूंजायमान कर दिया। यह वातावरण एक सकारात्मक ऊर्जा और सामाजिक समरसता का प्रतीक बना। छात्राओं ने बाबा साहब के चित्र के समक्ष दीप जलाकर उनके विचारों को स्मरण किया।
इस कार्यक्रम में अनुसूचित जनजाति छात्रावास की अधीक्षिका सुषमा श्रीवास्तव ने छात्राओं को संबोधित करते हुए बाबा साहब के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार डॉ. आंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त कर समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान निर्माण किया। उन्होंने छात्राओं को संविधान की मूल भावना, मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों एवं सामाजिक न्याय की अवधारणा से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि बाबा साहब केवल संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि समता, बंधुता और न्याय के महान द्रष्टा थे।
इस अवसर पर छात्राओं ने बाबा साहब के विचारों पर आधारित समूह गीत, भाषण और निबंध प्रस्तुत किए, जिससे कार्यक्रम में बौद्धिक और भावनात्मक गहराई देखने को मिली। कार्यक्रम का संचालन छात्रावास की वरिष्ठ छात्राओं द्वारा किया गया, जिन्होंने पूरे आयोजन को अनुशासन और गरिमा के साथ सम्पन्न किया।
सभी अधीक्षिकाओं ने छात्राओं को बाबा साहब के आदर्शों को अपनाने और शिक्षा के प्रति समर्पण भाव बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने शिक्षा को शस्त्र के रूप में अपनाकर सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया, और आज की पीढ़ी को उनके पदचिन्हों पर चलकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेना चाहिए।
अंत में छात्रावास परिसर में सभी छात्राओं और अधीक्षिकाओं ने मिलकर सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया, जिससे कार्यक्रम एक प्रेरणास्पद और जागरूकता से परिपूर्ण अनुभव बन गया। इस आयोजन ने छात्राओं में आत्मविश्वास, सामाजिक चेतना और समर्पण की भावना को और अधिक मजबूत किया।
यह आयोजन न केवल एक औपचारिक जयंती समारोह था, बल्कि यह विद्यार्थियों के लिए बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने और उन्हें जीवन में उतारने का अवसर भी सिद्ध हुआ। छात्रावास की अधीक्षिकाओं ने इस आयोजन को सफल बनाने में विशेष भूमिका निभाई और छात्राओं को संविधान व सामाजिक न्याय के प्रति सजग बनाने का कार्य किया।
इस प्रकार विदिशा का यह आयोजन बाबा साहब को समर्पित एक प्रेरणादायी पहल बनकर उभरा, जिसने आने वाली पीढ़ी के लिए विचार और कर्तव्य के नए द्वार खोल दिए।