दिया सलाई संवाद" : विदिशा की धरती पर पत्रकारिता, समाज और संघर्ष का अद्वितीय संगम।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने 'दिया सलाई' पुस्तक पर की खुलकर चर्चा, पत्रकारिता को बताया सामाजिक परिवर्तन का आधार।
सांची,मध्यप्रदेश:
प्रेस क्लब विदिशा के तत्वावधान में सांची क्षेत्र के मघदम रिसोर्ट में आज 'दिया सलाई संवाद' कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन सिर्फ एक संवाद नहीं बल्कि पत्रकारिता, समाज और मानवता के साझा सरोकारों का मंच बना। कार्यक्रम की खास बात रही नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी की उपस्थिति, जिनका सधा हुआ संवाद, अनुभवों की गहराई और जीवन के संघर्षों की रोशनी उपस्थित पत्रकारों और समाजसेवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई।
विदिशा और रायसेन जिलों से बड़ी संख्या में पत्रकार इस आयोजन में शामिल हुए। कार्यक्रम का वातावरण एक उत्सव जैसा बना रहा, जहां सामाजिक चेतना, सृजनात्मक संवाद और लेखनी की ताकत का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत हुआ। सत्यार्थी का स्वागत पारंपरिक अंदाज़ में किया गया। पत्रकारों ने उन्हें शॉल, श्रीफल और फूलमालाएं भेंट कर सम्मानित किया, और इस आयोजन को गौरवपूर्ण बनाया।
प्रेस क्लब विदिशा के अध्यक्ष सचिन तिवारी ने सत्यार्थी का स्वागत करते हुए 'दिया सलाई' पुस्तक पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक केवल आत्मकथा नहीं, बल्कि समाज में बदलाव की चिंगारी है जो पाठकों को भीतर से झकझोर देती है।
सत्यार्थी ने अपने वक्तव्य में 'दिया सलाई' पुस्तक के नाम के पीछे छिपी सोच को सरलता और गहराई से समझाया। उन्होंने कहा कि यह मामूली दिखने वाली तीलियों से बनी एक ऐसी वस्तु है जो अपने भीतर एक चिंगारी छुपाए रहती है—यह चिंगारी चाहे तो अंधकार फैला सकती है, और चाहे तो समाज को रोशन कर सकती है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन की उन घटनाओं को साझा किया है जिन्होंने उन्हें अंदर तक बदल दिया और एक सामाजिक योद्धा के रूप में गढ़ा।
उन्होंने पाकिस्तान में बाल अधिकारों के लिए किए गए अपने संघर्ष का विशेष उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने अपने साहस और रणनीति से वहां की सरकार को बच्चों के हित में कानून बनाने को बाध्य कर दिया। यह संघर्ष न केवल एक अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि थी, बल्कि यह भी प्रमाण था कि एक व्यक्ति की आवाज दुनिया की सबसे बड़ी व्यवस्थाओं को झुका सकती है।
पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने पत्रकारिता की मौजूदा चुनौतियों पर भी गंभीरता से बात की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता केवल सूचनाओं को संप्रेषित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि वह हाशिये पर खड़े उस व्यक्ति की आवाज है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज की पत्रकारिता को केवल सत्ता और सेंसेशन से हटकर समाज के असली मुद्दों की ओर लौटना चाहिए।
सत्यार्थी ने यह भी कहा कि आज के पत्रकारों को एकजुट होकर समाज के सबसे कमजोर वर्ग के साथ खड़ा होना चाहिए, और हर नागरिक को समान अवसर दिलाने के लिए सजग भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता तब ही सार्थक है जब वह न्याय, समानता और मानवता के मूल्यों के साथ खड़ी हो।
कार्यक्रम के दौरान संघमित्रा पत्रकार संघ ने भी सत्यार्थी का पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया। यह आयोजन न केवल पत्रकारों के लिए, बल्कि समाजसेवियों और आम नागरिकों के लिए भी एक प्रेरक अवसर बन गया, जिसमें सामाजिक चेतना की लौ को और प्रज्वलित होते देखा गया।
कार्यक्रम के अंत में प्रेस क्लब विदिशा के अध्यक्ष सचिन तिवारी ने उपस्थित अतिथियों, पत्रकारों, समाजसेवियों और आयोजन को सफल बनाने में सहयोग देने वाले सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन आने वाले समय में पत्रकारिता और सामाजिक जिम्मेदारी के मध्य एक सशक्त सेतु का कार्य करेगा।