धार्मिक कार्य: स्वर्गिक सुख और मोक्ष की ओर ले जाने वाली निश्चित और श्रेयस यात्रा।

 धार्मिक कार्य: स्वर्गिक सुख और मोक्ष की ओर ले जाने वाली निश्चित और श्रेयस यात्रा।

बहोरीवंद पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के समापन अवसर पर मुनिश्री सुधासागर जी एवं मुनि प्रसाद सागर जी ने दिए आध्यात्मिक जागरण के संदेश।

बहोरीबंद:

बहोरीवंद नगरी में श्रद्धा, भक्ति और धर्म के अनुपम संगम का साक्षी बना पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव, जिसका समापन एक अद्वितीय आध्यात्मिक वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री सुधासागर जी महाराज एवं मुनिश्री प्रसाद सागर जी महाराज ने धर्म की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धार्मिक कार्य न केवल पुण्य का संचय करते हैं, बल्कि वे स्वर्गिक सुख और मोक्ष की ओर ले जाने वाले सुनिश्चित मार्ग के रूप में कार्य करते हैं।  

मुनिश्री ने विज्ञान और धर्म के मध्य मूलभूत अंतर को स्पष्ट करते हुए उदाहरण दिया कि जिस प्रकार एक विद्युत बल्ब को जलाने के लिए अनेक संयंत्रों और प्रक्रियाओं से होकर विद्युत प्रवाहित होती है—वायर, खंभे, सब-स्टेशन, ट्रांसफार्मर और अंततः बल्ब तक पहुंचने वाली सप्लाई। यदि इस प्रक्रिया में कहीं कोई बाधा आती है, तो प्रकाश नहीं बल्कि अंधकार ही मिलता है। यह विज्ञान की निर्भरता और सीमितता को दर्शाता है।  

इसके विपरीत, धार्मिक कार्य का परिणाम बाधित नहीं होता। जैन आगमों के अनुसार साधु का भेष दो प्रकार का होता है—द्रव्य और भाव। यदि साधु का भाव पूर्णत: शुद्धात्म स्वरूप वाला हो, तो उसका मोक्ष निश्चित होता है। यह मोक्ष केवल एक साधु तक सीमित नहीं रहता, अपितु वह मार्ग प्रत्येक साधक के लिए खुला होता है, जो श्रद्धा, विवेक, समर्पण और गुरु एवं परमात्मा की सेवा से जुड़ता है। यह सेवा ही वह बीज है, जिससे मोक्षरूपी फल पनपता है।  

मुनिश्री ने कहा कि जिस प्रकार एक बीज को अंकुरित करने के लिए अनुकूल वातावरण, जल और पोषण आवश्यक होता है, वैसे ही आत्मा के कल्याण के लिए धार्मिक कार्यों का सतत अभ्यास, सच्ची आस्था और समर्पित जीवन शैली अनिवार्य है। धर्म केवल अनुष्ठान नहीं, अपितु वह एक जीवित दर्शन है, जो आत्मा को उसके शुद्ध स्वरूप की ओर अग्रसर करता है।  

पंचकल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन त्रिलोक तीर्थ जिनालय परिसर में भगवान शांतिनाथ जी की प्रतिमा को उच्चासन पर विराजमान कर परमात्मा के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया के सान्निध्य में 1008 कलशों से महामस्तकाभिषेक विधिवत संपन्न हुआ। यागमंडल विधान की पूर्णाहुति के साथ हवन का आयोजन किया गया, जिसमें विशेष पात्रों सहित सभी श्रद्धालुओं ने भाग लिया और धर्म की अग्नि में अपनी आस्था की आहुति दी।  

इस भव्य आयोजन में नगर सहित दूर-दराज़ से आए श्रद्धालु सम्मिलित हुए। प्रमुख रूप से श्रीमंत सेठ उत्तमचंद जैन (कोयला), अनुराग जैन, प्रमोद जैन काका, महेंद्र जैन, मनोज जैन, प्रशांत जैन, सत्येंद्र जैन, डॉ. के. एल. जैन, सुरेंद्र सिंघई, विनय जैन, नरेंद्र सिंघई, दिनेश जैन, प्रदीप जैन, पुष्पेंद्र मोदी तथा युवामंडल एवं महिला मंडल के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।  

महिलाओं ने मंगलगीतों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बनाया, वहीं युवाओं की सेवा भावना ने कार्यक्रम को अनुशासित रूप में पूर्णता तक पहुंचाया। महोत्सव के माध्यम से नगरवासियों में न केवल धार्मिक चेतना जागृत हुई, बल्कि मोक्षमार्ग की सच्ची प्रेरणा भी प्राप्त हुई।  


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर mp,
संपर्क सूत्र:9977110734

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