भगवान के गर्भ कल्याणक महोत्सव में मुनिश्री के भावपूर्ण प्रवचनों से गुंजायमान हुआ बहोरीबंद,समृद्धि से नहीं,विनय से मिलता है मोक्ष का मार्ग।
झुके हुए वृक्ष की भांति बनो, पत्थर खाकर भी फल दो — पंचकल्याणक महोत्सव की धर्मसभा में मुनिश्री सुधा सागर जी का आत्मचिंतन से ओतप्रोत संदेश।
बहोरीबंद, कटनी:
बहोरीबंद में धर्म और भक्ति के अद्भुत समागम का दृश्य देखने को मिला, जब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित गर्भ कल्याणक के पावन प्रसंग पर धर्मसभा में मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज एवं मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज ने श्रद्धालुजनों के हृदय को छू लेने वाले प्रेरणादायी विचारों को प्रस्तुत किया। धर्मसभा में उपस्थित विशाल जनसमूह भावविभोर होकर मुनिश्री के वचनों में आत्मचिंतन की गूंज महसूस कर रहा था।
मुनिश्री ने कहा कि जैसे-जैसे हम भौतिक समृद्धि की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे जीवन में एकाकीपन घर करता चला जाता है। हमारी संवेदनाएं कुंठित होती हैं और हम समाज से कटने लगते हैं। यह प्रवृत्ति आत्महंता है। उन्होंने कहा कि बहोरीबंद का फलों से लदा वृक्ष जब पत्थर खाता है, तब भी फल ही देता है। उसी तरह हमें भी जीवन में झुकना और दूसरों को देना सीखना चाहिए। प्रकृति का यह संदेश है कि जो समृद्ध है, उसे औरों के साथ बांटना चाहिए। उन्होंने कहा कि झुकाव और विनय ही वह मार्ग हैं जो मोक्ष के द्वार तक ले जाते हैं। विनय को मोक्ष का द्वार कहा गया है और जो व्यक्ति विनययुक्त होता है, उसके लिए आत्मकल्याण का रास्ता स्वतः प्रशस्त हो जाता है।
मुनिश्री ने गर्भ कल्याणक के शुभ अवसर को परमात्मा के पुण्य प्रभाव का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि तीर्थंकर प्रभु जब गर्भ में आते हैं, तभी से धरा पर पुण्य का वातावरण बनने लगता है। छह महीने पूर्व से ही उनके पुण्य की बरसात समूचे जगत को आनंदित करती है। यह अवसर केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना का सजीव रूप है। भगवान के अवतरण का यह क्षण आत्मा के विकास और समाज के कल्याण की ओर संकेत करता है।
इस विशेष दिन की शुरुआत प्रातःकालीन क्रियाओं से हुई, जिनमें ब्रह्मचारी प्रदीप भैया के निर्देशन में श्रीजी का जल, द्रव्य और मंत्रों द्वारा अभिषेक संपन्न हुआ। शांतिधारा, याज्ञ मंडल विधान के अर्घ समर्पण और आहार चर्या जैसी विविध धार्मिक क्रियाएं विधिपूर्वक सम्पन्न की गईं। इसके उपरांत दोपहर में माता मरु देवी की गोद भराई की रस्म को अष्ट कुमारियों ने परंपरागत रीति से सम्पन्न कराया। यह आयोजन श्रद्धा और भक्ति से सराबोर रहा।
इस गरिमामयी अवसर पर पंचकल्याणक में सम्मिलित पात्रों के साथ ही नगर एवं आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। माता मरु देवी की गोद भराई की झांकी और गर्भ कल्याणक की परंपरा को साक्षात देखने का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए जन समुदाय में विशेष उत्साह देखने को मिला।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्रीमंत सेठ उत्तमचंद जैन कोयला, अनुराग जैन, प्रमोद जैन काका, महेन्द्र जैन, शैलेन्द्र जैन, मनोज जैन, राजेश जैन, सत्येन्द्र जैन, डॉ. के एल जैन, प्रशांत जैन, सुरेन्द्र सिंघई, अभय कुमार जैन, विनय जैन, दिनेश जैन, डॉ. सुबोध जैन, प्रदीप जैन, पुष्पेन्द्र मोदी, युवामंडल एवं महिला मंडल के सदस्यगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस आयोजन के माध्यम से श्रद्धालुओं ने न केवल धर्मलाभ प्राप्त किया, अपितु आत्मा के शुद्धिकरण का अमूल्य अवसर भी पाया। धर्मसभा में मुनिश्री के संदेशों ने जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना और विनय, समर्पण एवं संवेदना की भावना को जाग्रत किया, जो किसी भी समाज की सच्ची समृद्धि का आधार बन सकती है।