सम्राट अशोक महान जयंती: ऐतिहासिक धूमधाम, जनसैलाब और सामाजिक चेतना का अद्वितीय संगम।

 सम्राट अशोक महान जयंती: ऐतिहासिक धूमधाम, जनसैलाब और सामाजिक चेतना का अद्वितीय संगम।

ओबीसी महासभा के तत्वावधान में निकली विशाल बाइक रैली, निकलीं मनमोहक झांकियां, अंबेडकर पार्क में हुआ भव्य समापन।

कटनी:

सम्राट अशोक महान की जयंती इस वर्ष ओबीसी महासभा के तत्वावधान में अभूतपूर्व उत्साह, गरिमा और सामाजिक चेतना के साथ मनाई गई। यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है बल्कि सामाजिक समरसता, एकता और सम्राट अशोक के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बना। आयोजन में मौर्य कुशवाहा समाज कल्याण समिति का सहयोग उल्लेखनीय रहा।

कार्यक्रम की शुरुआत गुलमोहर गार्डन नदी पार क्षेत्र से एक विशाल बाइक रैली के रूप में हुई। यह रैली शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती हुई अंबेडकर पार्क, एनकेजे तक पहुंची। पूरे मार्ग में स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक रैली का स्वागत किया। रैली में भव्य और जीवंत झांकियां सम्मिलित थीं, जो सम्राट अशोक के जीवन, उनके बौद्ध धर्म ग्रहण, शांति संदेश, एवं उनके न्यायप्रिय शासन का जीवंत चित्रण कर रही थीं।

अंबेडकर पार्क पहुंचकर रैली के प्रतिभागियों ने सर्वप्रथम सम्राट अशोक स्तंभ पर पुष्पवर्षा कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का समापन हुआ। रैली लगभग 8 किलोमीटर लंबी रही जिसमें हजारों की संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, युवावर्ग, महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक एवं बच्चों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

सभा को संबोधित करते हुए ओबीसी महासभा के जिलाध्यक्ष डॉ. बी. के. पटेल ने कहा कि सम्राट अशोक महान केवल एक शक्तिशाली शासक ही नहीं थे, बल्कि वे करुणा, प्रेम, और अहिंसा के प्रतीक बनकर उभरे। उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य के विस्तार के दौरान अत्याचारियों का विनाश कर भारत और एशिया में न्याय की स्थापना की, लेकिन जब उन्होंने तथागत गौतम बुद्ध के विचारों को आत्मसात किया, तब उन्होंने तलवार त्याग दी और अहिंसा के पथ पर चलकर विश्व को प्रेम और करुणा से जीत लिया।

उन्होंने आगे बताया कि सम्राट अशोक के शासनकाल में स्थापित किए गए स्तंभ आज भी इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं। इन स्तंभों पर चार शेरों की मूर्ति चारों दिशाओं में मुख किए हुए न्याय, शक्ति, और निर्भयता का प्रतीक है। स्वतंत्र भारत सरकार ने इन्हीं शेरों को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया, जो आज हमारे प्रशासनिक दस्तावेजों, मुद्रा एवं सेना की गरिमा का प्रतीक है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में सुशोभित अशोक चक्र भी सम्राट अशोक की न्यायपरक शासन व्यवस्था और समानता के विचारों का प्रतीक है।

डॉ. पटेल ने यह भी कहा कि आज के दौर में जब समाज में असमानता, भेदभाव और वैमनस्य बढ़ रहा है, तब सम्राट अशोक महान के विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। सरकारों द्वारा सम्राट अशोक महान के विचारों को उपेक्षित किया जाना चिंता का विषय है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रेम, समता और न्याय पर आधारित शासन ही भारत को सच्चे अर्थों में ‘विश्वगुरु’ बना सकता है। तलवार से सम्राट तो बना जा सकता है, लेकिन महान बनने के लिए केवल प्रेम और दया का मार्ग ही एकमात्र विकल्प है।

इस भव्य आयोजन में जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और विभिन्न संगठनों की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक प्रभावशाली बना दिया। उपस्थिति देने वाले प्रमुख नामों में ए. पी. मौर्य (जिलाध्यक्ष, मौर्य कुशवाहा समाज), यदुवेंद्र यादव (प्रदेशाध्यक्ष, सपा), ज्ञानती मौर्या (जिलाध्यक्ष, महिला ओबीसी महासभा), प्रदीप कुशवाहा (प्रभारी, ओबीसी महासभा), राम सरोवर कुशवाहा (कार्यकारी जिलाध्यक्ष, ओबीसी महासभा), रमेश मौर्य (सम्राट अशोक क्लब), संगीता बर्मन, श्याम रजक (जिलाध्यक्ष, रजक समाज), श्रीकांत पटेल, अरविंद धुर्वे (जिलाध्यक्ष, अजाक्स), चंद्रभान बौद्ध (जिलाध्यक्ष, भीम आर्मी), सी. पी. मौर्य (सचिव), दिनेश मौर्य (कोषाध्यक्ष), बृज बिहारी कुशवाहा, कुलदीप मौर्य, दातादीन मौर्य, भीमसेन मौर्य, मनोज निराला, राम मनोहर कुशवाहा, अशोक पटेल सहित अनेक गणमान्य अतिथिगण, क्रांतिकारी साथी एवं हजारों की संख्या में नागरिकगण शामिल रहे।

कार्यक्रम में सामाजिक एकता, समरसता और ऐतिहासिक गौरव को एक नई पहचान मिली। सम्राट अशोक महान की जयंती के माध्यम से समाज में शांति, समानता, न्याय और बौद्धिक जागरूकता का संदेश पूरे उत्साह के साथ फैलाया गया।


प्रधान संपादक: अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर MP
संपर्क सूत्र: 9977110734

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