सायना महाविद्यालय में संगीतमय सुंदरकांड का भव्य आयोजन।
माता भजनों की सुमधुर गूंज और रामजन्मोत्सव की झलकियों ने मोहा मन।
कटनी:
धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करते हुए सायना इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, कटनी में चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का एक भव्य एवं संगीतमय आयोजन संपन्न हुआ। इस आयोजन ने न केवल महाविद्यालय परिसर को भक्ति भाव से परिपूर्ण किया, बल्कि विद्यार्थियों और उपस्थितजनों में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार भी किया।
कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत रूप से गणेश वंदना के साथ की गई, जिसके पश्चात श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का संगीतमय पाठ प्रारंभ हुआ। यह पाठ रीठी विकासखंड के ग्राम खम्हरिया नं.1 से पधारे बजरंग रामायण मंडल के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिनकी भावपूर्ण प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। मंडल के कलाकारों ने जिस समर्पण और श्रद्धा से प्रस्तुति दी, वह दर्शकों के हृदय को स्पर्श करती रही।
सुंदरकांड के बाद वातावरण को और अधिक आध्यात्मिक व भक्तिमय बनाते हुए माता के भजनों का संगान हुआ। खेल पंडा खेल पंडा, नौ दिन खें चली आई भवानी, श्रीराम जानकी बैठे हैं, मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है जैसे लोकप्रिय देवी गीतों ने श्रोताओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। भजनों की ध्वनि से महाविद्यालय का परिसर गूंज उठा और श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ भक्ति भाव से नृत्य कर आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।
इस आयोजन में श्रीरामचरितमानस मंडल के निर्भय यादव, कमलेश यादव, बल्लू प्रसाद विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, ज्ञानचंद यादव, सुरेंद्र राय, राकेश यादव, प्रेमलाल रजक, प्रदीप यादव तथा सौरभ यादव की उपस्थिति विशेष रही। इन सभी कलाकारों को महाविद्यालय प्रशासन द्वारा पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस धार्मिक आयोजन की सफलता में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सी. राजेश कुमार की प्रमुख भूमिका रही। उनके मार्गदर्शन में संपूर्ण आयोजन सुव्यवस्थित और शालीन वातावरण में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में सभी विभागाध्यक्ष, सहायक प्राध्यापक, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे और सभी ने आयोजन की भव्यता को सराहा।
सायना महाविद्यालय का यह प्रयास न केवल धार्मिक चेतना को प्रोत्साहित करने वाला रहा, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण का भी सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि शिक्षा के साथ-साथ संस्कृति और आध्यात्मिकता का समन्वय भी विद्यार्थियों के समग्र विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।