ध्वजारोहण के साथ पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य शुभारंभ।
मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने दिए प्रेरणादायक संदेश, प्रभात फेरी, यागमंडल विधान और संध्या आरती से गूंजा बहोरीबंद।
बहोरीबंद:
बहोरीबंद नगर में अध्यात्म और संस्कृति की अनुपम छटा के साथ पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ ध्वजारोहण के साथ भव्यता से संपन्न हुआ। इस अलौकिक महोत्सव के प्रथम दिवस की शुरुआत प्रातः प्रभात फेरी से हुई, जिसमें नगरवासियों ने उल्लासपूर्वक भाग लिया। प्रभात फेरी के माध्यम से धर्म और आस्था का संदेश जन-जन तक पहुंचाया गया।
नगर भ्रमण के उपरांत मुनि संघ के पावन सानिध्य में महोत्सव स्थल पर ध्वजारोहण का पावन कार्य संपन्न हुआ। ध्वजारोहण के साथ ही वातावरण में धार्मिक ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ। मुनि श्री के सान्निध्य में इस आयोजन ने आध्यात्मिक गरिमा को और भी समृद्ध किया।
इसके पश्चात बाल ब्रह्मचारी प्रदीप भैया जी के निर्देशन में महोत्सव में सम्मिलित सभी पात्रों का सकलीकरण और शुद्धीकरण किया गया। यह क्रियाएं अत्यंत विधिपूर्वक और श्रद्धा भाव से सम्पन्न हुईं, जिन्होंने महोत्सव की धार्मिक महत्ता को और भी गहराई प्रदान की।
दोपहर के सत्र में यागमंडल विधान का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस विधान के माध्यम से वातावरण में आध्यात्मिक तरंगों का संचार हुआ और उपस्थित जन समुदाय भाव-विभोर हो उठा।
संध्याकाल में आरती कार्यक्रम ने महोत्सव की गरिमा को चरम पर पहुंचा दिया। दीपों की रोशनी और मंत्रों की गूंज से सारा परिसर एक दिव्य ज्योति से आलोकित हो उठा।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज एवं निर्यापक मुनि प्रसाद सागर जी ने अपने सारगर्भित उद्गारों में कहा कि किसी व्यक्ति की महानता उसकी पूजा से नहीं, अपितु इस बात से आंकी जाती है कि वह अपने आश्रित को अपने समकक्ष बनाने की सोच रखता है।
उन्होंने कहा कि जो स्वयं तो समृद्ध हो परंतु दूसरों को भी समर्थ बनाने की दिशा में प्रयासरत हो, वही सच्चे अर्थों में महान और धनवान कहा जा सकता है। परमात्मा इसलिए पूज्य हैं क्योंकि उन्होंने हमें मोक्षगामी पथ दिखाया और स्वयं उस पर पथिक बने। उन्होंने ऐसा मार्ग प्रशस्त किया जिसकी प्रेरणा से हम भी आत्मकल्याण की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
महान आत्माओं के दर्शन और पूजन को हमारे लिए इसलिए मंगलकारी माना गया है क्योंकि उनका जीवन स्वयं में मंगलमय बन चुका होता है। ऐसे दिव्य पुरुष हमारे लिए आराध्य होते हैं क्योंकि उनका जीवन प्रेरणा और अनुकरणीयता से परिपूर्ण होता है।
इस अवसर पर नगरवासियों में विशेष उत्साह देखा गया। श्रद्धालुओं की सहभागिता और सेवाभाव ने आयोजन को सफल और भव्य रूप प्रदान किया। महोत्सव के आगामी दिवसों में विविध धार्मिक अनुष्ठान, विधान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनके माध्यम से बहोरीबंद की धरती पुनः पुनः धर्म की पावन गंगा से सराबोर होती रहेगी।