माता की महिमा, माया का रहस्य और सत्य की विजय का भावपूर्ण संगम।

 माता की महिमा, माया का रहस्य और सत्य की विजय का भावपूर्ण संगम।

देवी भागवत कथा के पांचवे दिवस पर दुर्गम वध, नारद की माया और हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा की लीलाओं का वर्णन।

सिहोरा:

ग्राम पहरुआ खेरमाई प्रांगण में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा पुराण के अंतर्गत शनिवार को कथा के पांचवे दिवस पर भक्तों ने माता भगवती की अद्भुत लीलाओं का श्रवण किया। श्री श्री 1008 बनवारी दास जी महाराज के सानिध्य में कथा व्यास पंकज गर्ग, भटिया आश्रम द्वारा भक्तों को धर्म, माया और सत्य की प्रेरणादायक कथाओं से भावविभोर किया गया।

कथा की शुरुआत में माता रानी द्वारा दुर्गम दैत्य के वध की रोमांचक कथा सुनाई गई। इस प्रसंग में माता के प्रचंड रूप का जीवंत वर्णन करते हुए बताया गया कि कैसे उन्होंने अधर्म रूपी दुर्गम का अंत कर धर्म की स्थापना की। माता की शक्ति और दैत्य के अहंकार को चूर करने की इस कथा ने श्रद्धालुओं को आस्था से भर दिया।

इसके पश्चात कथा में देवर्षि नारद के स्त्री रूप धारण करने और भगवान विष्णु की माया में मोहित होने का प्रसंग सुनाया गया। कथा व्यास ने इस प्रसंग के माध्यम से बताया कि भगवान की माया इतनी प्रबल है कि देवताओं तक को भ्रमित कर सकती है, और इससे केवल भगवान की कृपा से ही बचा जा सकता है। इस प्रसंग ने श्रोताओं को मोह-माया से दूर रहकर भक्ति और ध्यान में मन लगाने की प्रेरणा दी।

कथा के अंतिम चरण में सत्यनिष्ठ राजा हरिश्चंद्र की कथा सुनाई गई। किस प्रकार उन्होंने सत्य की रक्षा के लिए अपने राज्य, परिवार और स्वयं को भी त्याग दिया, यह वर्णन अत्यंत मार्मिक रहा। राजा हरिश्चंद्र की धर्मनिष्ठा और सत्य पर अडिग रहने की प्रेरक कथा ने श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया।

आज की कथा में माता रानी की शक्ति, भगवान की माया और राजा हरिश्चंद्र के सत्य की त्रिवेणी भावनाओं का संगम देखने को मिला। कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने श्रद्धा एवं भक्ति भाव से कथा श्रवण किया। कथा का समापन आरती और प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर mp,
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