साधना में है चमत्कार: दीक्षा दिवस पर मुनिश्री का प्रेरणादायक संदेश।
बहोरीबंद में पंचकल्याणक के तृतीय दिन दीक्षा समारोह में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, साधना, श्रद्धा और पुरुषार्थ पर मुनिश्री के विचारों ने जनमानस को किया चमत्कृत।
बहोरीबंद:
पंचकल्याणक महोत्सव के तृतीय दिन, दीक्षा दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं का अपार जनसमूह उमड़ा। इस अवसर पर पूज्य मुनिश्री ने अपने प्रभावशाली प्रवचनों के माध्यम से जनमानस को साधना, श्रद्धा एवं पुरुषार्थ की शक्ति से परिचित कराया।
मुनिश्री ने कहा कि चमत्कार साध्य में नहीं, साधना में निहित है। भावनाओं की पवित्रता और श्रद्धा की दृढ़ता ही वह माध्यम है जिससे आत्मा परमात्मा से जुड़ती है। बहोरीबंद जैसे पावन स्थल पर जहां भावना भावनासिनी होती है, वहां केवल श्रद्धा और आस्था ही जीवन के परिवर्तन का मार्ग बनती है। उन्होंने कहा कि हम प्रतिमाओं में चमत्कार ढूंढते हैं, जहां है ही नहीं, जबकि चमत्कार की असली शक्ति हमारी अनंत इच्छाशक्ति और दृढ़ श्रद्धा में है। जब ये तरंगें प्रतिफलित होती हैं, तो चमत्कार स्वतः घटित होते हैं।
अपने प्रवचन में मुनिश्री ने यह भी कहा कि हमने कर्मभूमि पर जन्म लिया है और यही हमारा सौभाग्य है। भाग्य पर आश्रित न रहते हुए पुरुषार्थ के मार्ग पर अग्रसर रहना ही सच्ची भक्ति है। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि वे अपने कर्मों को उत्कृष्ट बनाते हुए भक्ति और प्रार्थना में रत रहें। परमात्मा को प्रणाम करें और अपने प्रणाम पर भरोसा रखें, हर कार्य सिद्ध होगा।
दीक्षा दिवस के शुभ अवसर पर प्रातः भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, मंगल प्रवचन तथा दोपहर में दीक्षा दिवस समारोह का आयोजन सानंद संपन्न हुआ। बाल ब्रह्मचारी प्रदीप भैया जी के सान्निध्य में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में धर्मप्रेमी जनों की उपस्थिति ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
इस आयोजन में श्रीमंत सेठ उत्तमचंद जैन कोयला, अनुराग जैन, मनोज जैन, महेन्द्र जैन, शैलेन्द्र जैन, राजेश जैन, सन्मति जैन, संजय जैन, सत्येन्द्र जैन, डा. के. एल. जैन, प्रशांत जैन, सुरेन्द्र सिंघई, विनय जैन, दिनेश जैन, पुष्पेन्द्र मोदी सहित युआ मंडल एवं महिला मंडल के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
दीक्षा दिवस का यह कार्यक्रम न केवल आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बना, बल्कि जनकल्याण की भावना को भी नई दिशा प्रदान कर गया।