भक्ति, उल्लास और आस्था के साथ निकले माता के पारंपरिक जवारे।

 भक्ति, उल्लास और आस्था के साथ निकले माता के पारंपरिक जवारे।

काली माता की जीवंत झांकी बनी आकर्षण का केंद्र, हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

उमरिया पान:

नगर में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी माता के पारंपरिक जवारों का आयोजन अत्यंत भव्यता, श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया। सुबह से ही नगर में आध्यात्मिक वातावरण व्याप्त हो गया था। श्रद्धालु नए वस्त्रों में सजधज कर माता के दर्शन हेतु उमड़ पड़े। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी, अपने सिर पर जवारे के कलश रखे, भक्तिरस में डूबी हुई चल रहीं थीं। इनके साथ डोल-ढमाके, ढोल-नगाड़ों और भजनों की स्वर लहरियों ने पूरे नगर को भक्तिमय बना दिया। जगह-जगह भक्तों द्वारा माता के जयकारे लगाए जा रहे थे, जिससे वातावरण में आस्था की सजीव ऊर्जा प्रवाहित हो रही थी।

शोभायात्रा की शुरुआत सबसे पहले बड़ी माई के जवारों से हुई, जिनकी अगुवाई में श्रद्धालु कतारबद्ध होकर नगर भ्रमण पर निकले। इसके बाद चंदी माई, कुलयाने मोहल्ला, कड़ेरे के दीवाले और बंशकार मोहल्ला के जवारों की भव्य झांकियां निकलीं। प्रत्येक मोहल्ले के जवारे अपनी पारंपरिक साज-सज्जा, उत्साह और सांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ नगरवासियों के आकर्षण का केंद्र बने। महिलाएं, युवतियां और बालिकाएं रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजी-धजी, माता के भक्ति गीत गाती हुईं माता की भक्ति में लीन नजर आईं।

विशेष आकर्षण के रूप में अंत में निकले खेर माता के जवारों में काली माता की जीवंत झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने श्रद्धालुओं का ध्यान सबसे अधिक खींचा। झांकी में काली माता एक हाथ में खप्पर और दूसरे हाथ में तलवार लिए हुए उग्र रूप में मंचित थीं। उनका नृत्य और भाव-भंगिमा इतनी प्रभावशाली थी कि उपस्थित जनसमूह भावविभोर हो गया। काली माता की झांकी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि उसने लोक संस्कृति और परंपरा को भी जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। अनेक श्रद्धालुओं ने कहा कि इस बार की झांकी ने वर्षों बाद सजीवता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम दिखाया।

शोभायात्रा के मार्ग पर अनेक स्थानों पर श्रद्धालुओं ने प्रसाद वितरण की व्यवस्था की थी। कहीं शरबत, कहीं हलवा-पूड़ी, कहीं चना-मुरमुरा और कहीं ठंडे जल की प्याऊ लगाई गई थी। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर आयु वर्ग के लोगों ने श्रद्धा भाव से सेवा में भाग लिया और इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।

नगर की गलियों से लेकर मुख्य चौराहों तक, माता के गीतों की गूंज, ढोल-नगाड़ों की थाप और भक्तों के उल्लास ने नगर को उत्सव के रंग में रंग दिया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रित रही। कहीं कोई अव्यवस्था या असुविधा की सूचना नहीं मिली।

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। पुलिस थाना प्रभारी दिनेश तिवारी के नेतृत्व में नगर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा। ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो। ग्रामपंचायत की ओर से सफाई, प्रकाश व्यवस्था  की गईं थी, जो काबिल-ए-तारीफ रहीं। 

शोभायात्रा की समाप्ति के साथ ही नगरवासियों ने माता के चरणों में आस्था और श्रद्धा अर्पित की। श्रद्धालुओं का मानना है कि माता के जवारों में भाग लेने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, सामूहिकता और परंपराओं के संरक्षण का जीवंत उदाहरण बन गया है। नगर की भावनाएं माता के चरणों में समर्पित होकर एकसूत्र में बंध गईं। 

जवारे, श्रद्धा और परंपरा का जीवंत उदाहरण बनकर नगरवासियों के दिलों में आस्था की लौ और अधिक प्रखर कर गए। आयोजन ने यह सिद्ध किया कि जब श्रद्धा और संस्कृति एक साथ चलती हैं, तो समाज में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है जो पीढ़ियों तक प्रेरणा का स्रोत बनता है।


ग्रामीण खबर mp से ढीमरखेड़ा तहसील संवाददाता अखलेश नामदेव की रिपोर्ट।

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