मां वीरासन के दरबार में श्रद्धा की भव्य प्रस्तुति, 50 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाकर भक्तों ने किया देवी को नमन।

 मां वीरासन के दरबार में श्रद्धा की भव्य प्रस्तुति, 50 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाकर भक्तों ने किया देवी को नमन।

सिलौंडी से भक्तों ने पैदल यात्रा कर मां वीरासन मंदिर में की पूजा अर्चना, डंडे भाँजते पहुंचे श्रद्धालु।

सिलौंडी:

धार्मिक आस्था और समर्पण का अद्भुत संगम सिलौंडी के प्रसिद्ध मां वीरासन मंदिर में देखने को मिला, जब गांव के श्रद्धालु भक्तों ने 50 मीटर लंबी चुनरी के साथ पैदल यात्रा कर देवी मां के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित की। यह आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि पूरे क्षेत्र में धार्मिक उल्लास और भक्तिभाव का वातावरण भी निर्मित हुआ।  

सिलौंडी गांव से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त ढोल-नगाड़ों और जयकारों के साथ पैदल यात्रा करते हुए मां वीरासन मंदिर पहुंचे। भक्तों ने हाथों में चुनरी थामे मां की स्तुति करते हुए मंदिर परिसर की ओर प्रस्थान किया। इस दौरान भक्ति गीतों और जयकारों से मार्ग गूंज उठा, जिससे वातावरण पूरी तरह धार्मिक रंग में रंग गया।  

कुछ विशेष श्रद्धालु परंपरागत रूप से डंडे भाँजते हुए माता के दरबार तक पहुंचे, जो शक्ति और भक्ति की परंपरा का जीवंत प्रतीक माना जाता है। मंदिर पहुंचने के बाद मां वीरासन को विधिपूर्वक 50 मीटर लंबी चुनरी अर्पित की गई। पूजन और आरती के साथ पूरे आयोजन का समापन हुआ। श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन कर सुख-समृद्धि और परिवार की रक्षा की कामना की।  

इस आयोजन की विशेष बात यह रही कि इसमें गांव के प्रमुख पंच और गणमान्य नागरिकों की भी भागीदारी रही। उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में पंच रघुवीर सिंह, महेंद्र यादव, प्रमोद सेन, अनिल काछी, रमन श्रीवास, पंचों श्रीवास, मनोज काछी, दुर्गा श्रीवास, संजय यादव, चिराग यादव, अभय चक्रवर्ती सहित अनेक श्रद्धालु सम्मिलित हुए। महिलाओं और बच्चों की भी बड़ी संख्या में भागीदारी ने आयोजन को और भी भव्य बना दिया।  

इस धार्मिक यात्रा ने न केवल लोगों की आस्था को सशक्त किया, बल्कि सामूहिक एकता, संस्कृति और परंपरा को भी जीवंत किया। मां वीरासन मंदिर, जो वर्षों से श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है, इस प्रकार के आयोजनों से और भी अधिक जनभावनाओं से जुड़ता जा रहा है।  

गांव के बुजुर्गों और आयोजकों ने बताया कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु इस तरह के आयोजन में हिस्सा लेते हैं। मां वीरासन का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह लोगों की सांस्कृतिक पहचान और श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।  

समापन अवसर पर मां की महाआरती की गई, जिसमें समस्त श्रद्धालु सम्मिलित हुए और दीप प्रज्वलित कर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। श्रद्धालुओं ने यह संकल्प लिया कि आने वाले वर्षों में भी इस परंपरा को और अधिक भव्यता के साथ निभाया जाएगा।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर mp,
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