बिजली संकट से परेशान किसान, फसल बुवाई पर संकट के बादल—सिलौंडी और अम्हेटा क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रही शासन द्वारा निर्धारित 10 घंटे बिजली आपूर्ति।
बिजली विभाग की लापरवाही से खेतों में सूखा पड़ा, परेशान किसान पहुंचे वितरण केंद्र—अनियमित आपूर्ति और पक्षपात के आरोप, जल्द समाधान न हुआ तो होगा आंदोलन।
सिलौंडी:
सिलौंडी और अम्हेटा क्षेत्र के सैकड़ों किसान इन दिनों बिजली संकट से बुरी तरह जूझ रहे हैं। शासन द्वारा किसानों को प्रतिदिन 10 घंटे बिजली देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन इन दोनों क्षेत्रों के किसानों को महज़ 3 से 4 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। परिणामस्वरूप खेतों में बुवाई का कार्य ठप हो गया है और किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नज़र आ रहा है।
बिजली की अनियमित आपूर्ति से नाराज़ होकर किसानों ने सोमवार को सिलौंडी बिजली वितरण केंद्र का रुख किया और वहां मौजूद अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्याएँ साझा कीं। किसानों का कहना है कि प्रशासनिक लापरवाही और बिजली विभाग की निष्क्रियता के कारण उनकी फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं।
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ विशेष किसानों को आउटसोर्स कर्मचारियों की मिलीभगत से घरेलू कनेक्शन के माध्यम से 24 घंटे बिजली मिल रही है, जबकि बाकी किसानों को नियमित 10 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है। इससे क्षेत्र में असंतोष और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। किसानों ने यह सवाल भी उठाया कि यदि कुछ लोगों को नियमों के विरुद्ध विशेष सुविधा दी जा सकती है, तो मेहनतकश किसानों को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?
मौके पर मौजूद किसानों में अतुल साहू, रवि कुमार, सतीश दीवान, सोनू काछी सहित कई अन्य लोगों ने कहा कि बिजली की स्थिति यदि जल्द ही नहीं सुधरी, तो वे इस विषय में जिला कलेक्टर से मुलाकात कर विधिवत शिकायत करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समस्या का शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो समूचे क्षेत्र के किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इस दौरान जब किसान वितरण केंद्र पहुँचे, तो वहाँ के जूनियर इंजीनियर (जेई) साहब अनुपस्थित मिले। किसानों ने फोन पर संपर्क कर समस्या से अवगत कराया। बातचीत में जेई ने किसानों को 8 अप्रैल 2025 को मिलने का वादा किया और आश्वस्त किया कि समस्या का समाधान शीघ्र किया जाएगा।
किसानों ने बताया कि बार-बार विभाग को सूचित करने के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। बुवाई का समय निकलता जा रहा है और अगर यह स्थिति कुछ और दिनों तक बनी रही, तो खरीफ की फसलें प्रभावित होंगी, जिससे आर्थिक संकट और कर्ज़ के बोझ तले दबे किसान और अधिक परेशानी में आ सकते हैं।
बिजली की अनियमित आपूर्ति का असर केवल बुवाई पर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन के कई अन्य पहलुओं पर भी पड़ रहा है। पानी के पंप नहीं चल पा रहे हैं, पशुओं के लिए चारा उगाने में भी दिक्कत आ रही है और कई जगहों पर पीने के पानी की समस्या भी उत्पन्न हो रही है।
किसानों ने मांग की है कि शासन और बिजली विभाग तुरंत प्रभाव से किसानों को पूरे 10 घंटे बिजली उपलब्ध कराए और यह सुनिश्चित करे कि सभी को समान रूप से बिजली मिले। साथ ही जिन कर्मचारियों पर पक्षपात का आरोप है, उन पर कार्रवाई की जाए।
कुल मिलाकर, बिजली संकट ने इस क्षेत्र के किसानों की नींद उड़ा दी है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में यह समस्या बड़ा आंदोलन का रूप ले सकती है। अब देखने वाली बात होगी कि 8 अप्रैल को जेई किसानों को क्या समाधान देते हैं और प्रशासन इस गंभीर मुद्दे को कितनी प्राथमिकता देता है।