होली उत्सव आया भैया, आज गुलाल उड़ाओ । होली की बहार है जग में, सबको रंग लगाओ।।

 होली उत्सव आया भैया, आज गुलाल उड़ाओ ।
होली की बहार है जग में, सबको रंग लगाओ।।

होली उतशव आया भैया, आज ग़ुलाल उड़ाओ।

होली की बाहर है जग मैं, सबको रंग लगाओ।।

 होली पावन उत्सव आया,सब जन घर को आते‌।

आज गाॅंव में परिजन मिलते,खुशी प्रेम भी पाते।।

 खुशी प्रेम में जीवन रंगा, मन को आज डुबाओ।

होली की बहार है जग में, सबकों रंग लगाओ।।


होली पावन पर्व जहां में, फागुन माह में आता।

रंग पुताई मानव करते, उत्सव मन को भाता।।

आओ भैया होली खेलें, नीला रंग मिलाओ।

होली की बहार है जग में, सबको रंग लगाओ।।


होली आई खुशियाॅं लाई, नव उमंग है छाई।

आज खुशी में मानव झूमे, नव फुहार हैं आई।।

द्वेष बैर को भूलों मानव, सब को तुम अपनाओ।

होली की बहार है जग में, सबको रंग लगाओ।।


होली का त्योहार मना लो, रंग अबीर  लगाना।

खुशी प्रेम रंगों की होली, मिलकर साथ मनाना।।

भाभी लुकती फिरती देखों, होली साथ मनाओ ।

होली की बहार है जग में, सबको रंग लगाओ।।


शैलेन्द्र पयासी,युवा साहित्यकार 

विजयराघवगढ़, कटनी, एमपी


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर mp,
संपर्क सूत्र:9977110734

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