स्लीमनाबाद महाविद्यालय में सतत मूल्यांकन परीक्षा आयोजित।
विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु जैविक खेती का प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन परीक्षा संपन्न।
कटनी:
स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय स्लीमनाबाद में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों के आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जैविक खेती पर विशेष प्रशिक्षण एवं सतत मूल्यांकन परीक्षा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को कम लागत में तकनीकी ज्ञान प्रदान करना और जीरो बजट फार्मिंग के प्रति जागरूक करना था, जिससे वे भविष्य में कृषि क्षेत्र में स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो सकें।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन प्रचार्या डॉ. सरिता पांडे के मार्गदर्शन में किया गया, जिसमें प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. प्रीति नेगी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे ने विद्यार्थियों को जैविक खेती के विविध पहलुओं से अवगत कराया और उन्हें इसकी वैज्ञानिक पद्धतियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के अनुकूल होती है, बल्कि इससे उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है और लागत में कमी आती है। विद्यार्थियों को जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक कीटनाशकों और फसल चक्र जैसे विषयों पर व्यवहारिक ज्ञान दिया गया।
महाविद्यालय के कला, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय के स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को उनके पाठ्यक्रम में शामिल जैविक खेती विषय की गहन समझ प्रदान करने के उद्देश्य से सतत मूल्यांकन परीक्षा का आयोजन किया गया। इस परीक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों की विषयगत समझ और व्यावहारिक ज्ञान को परखा गया। परीक्षा का निरीक्षण स्वयं प्राचार्या डॉ. सरिता पांडे ने किया और उन्होंने विद्यार्थियों को परीक्षा से संबंधित आवश्यक मार्गदर्शन भी प्रदान किया।
इस अवसर पर डॉ. पांडे ने कहा कि जैविक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है, ताकि विद्यार्थी न केवल अपने रोजगार के नए अवसर तलाश सकें, बल्कि समाज में भी जैविक उत्पादों के महत्व को प्रचारित कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि सतत मूल्यांकन प्रणाली के माध्यम से विद्यार्थियों की निरंतर प्रगति को मापा जाता है, जिससे उनकी ज्ञान की गहराई को समझा जा सकता है और उन्हें अधिक प्रभावी तरीके से शिक्षित किया जा सकता है।
विद्यार्थियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया और जैविक खेती के प्रति विशेष रुचि दिखाई। उन्होंने इस प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी बताया और कहा कि इससे उन्हें भविष्य में स्वरोजगार स्थापित करने की प्रेरणा मिली है। कुछ विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जैविक खेती की तकनीकों को सीखकर वे अपनी पारिवारिक कृषि में सुधार करने का प्रयास करेंगे।
महाविद्यालय प्रशासन का यह प्रयास न केवल विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह उन्हें व्यावहारिक एवं तकनीकी ज्ञान से लैस कर उनके आत्मनिर्भर बनने की प्रक्रिया को भी गति प्रदान करता है। इस प्रकार के आयोजनों से विद्यार्थी न केवल एक पारंपरिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों से भी अवगत कराया जा रहा है, जिससे वे अपनी रोजगार संभावनाओं को और अधिक विस्तारित कर सकें।
कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए, जिससे उनका आत्मविश्वास और उत्साह और अधिक बढ़ा। महाविद्यालय प्रशासन ने भविष्य में भी इस प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का आश्वासन दिया, ताकि विद्यार्थी नई तकनीकों से जुड़कर अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकें।