सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति शीघ्र मंजिल पाता है: मुनि सुधा सागर जी।

 सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति शीघ्र मंजिल पाता है: मुनि सुधा सागर जी।

बहोरीबंद में धर्मसभा के दौरान मुनि सुधा सागर जी के प्रेरणादायक विचार।

बहोरीबंद:

श्री चमत्कारोदय तीर्थ क्षेत्र बहोरीबंद में विराजमान मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज ने धर्मसभा के दौरान आत्म जागरण और सकारात्मक सोच के महत्व पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य हूं यही आत्म जागरण का सूत्र है। जिस व्यक्ति के मन में यह तीन बातें – मेरी किस्मत में जो लिखा है वही मिलेगा, जो भगवान ने दिया है वही होगा और समय से पहले कुछ नहीं आएगा – नहीं आती, वही व्यक्ति सकारात्मक और सही सोच वाला होता है। ऐसी सोच वाला व्यक्ति जिस भी मार्ग पर चलेगा, वह अपनी मंजिल को शीघ्र प्राप्त कर लेगा।  

मुनि श्री ने आगे कहा कि हमारे आदर्श पुरुष कठिन परिस्थितियों और कंटकाकीर्ण मार्ग पर चले, लेकिन उन्होंने अपने अपूर्व उत्साह, पुरुषार्थ और प्रबल आत्मबल के माध्यम से स्वयं को समय की कसौटी पर स्वतंत्र सिद्ध किया। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि यदि मनुष्य को यह अनुभूति हर क्षण बनी रहे कि वह मानव है, तो उसे मानवोचित कार्य करने चाहिए।

मुनि श्री ने आगे कहा कि व्यक्ति को स्वयं के प्रति, परिवार, समाज, धर्म और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध होना चाहिए। जिस दिन यह निर्णय स्पष्ट हो जाएगा, वहीं से स्वयंभू बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी पहचान स्वयं करनी चाहिए और यह जानना चाहिए कि वह क्या है। मां से पूछने पर हर मां अपने बच्चे को राजा बेटा ही कहेगी, लेकिन व्यक्ति को यथार्थ के धरातल पर स्वयं निर्णय लेना होगा कि वह वास्तव में क्या है और किस मार्ग पर चलना है।  

मुनि श्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि जगत के सहारे मत चलो, लेकिन स्वच्छंद भी मत बनो। जीवन मूल्यवान है, स्वयं की कीमत का आकलन करो और यह अनुभव प्राप्त करो कि तुम क्या कर सकते हो। जिस दिन यह अनुभूति आ जाएगी, उस दिन से स्वयंभू बनने का मार्ग खुल जाएगा। उन्होंने परमात्मा का उदाहरण देते हुए कहा कि परमात्मा अवधिज्ञान के धारी थे, लेकिन उन्होंने उस ज्ञान का उपयोग आनंद के लिए नहीं किया, बल्कि आत्मबल के माध्यम से इंद्रिय ज्ञान का उपयोग कर आनंद की अनुभूति की।  

मुनि श्री ने कहा कि जीवन में सुख-दुख, संकट और बाधाओं के समय व्यक्ति की असली पहचान होती है। यदि मनुष्य बाधाओं के समय हंसते हुए आगे बढ़ेगा, तो उसका मार्ग स्वतः ही प्रशस्त हो जाएगा।  

कार्यक्रम के प्रथम चरण में बाल ब्रह्मचारी प्रदीप भैया के निर्देशन में मंदिर में पूजन विधान, अभिषेक एवं सामूहिक शांति धारा का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी जन इस आयोजन में उपस्थित रहे।  

इस अवसर पर उत्तमचंद जैन (कोयला), प्रमोद काका, प्रमोद जैन (चूना), अनुराग जैन, प्रेमचंद प्रेमी, संजय जैन (कटनी), विनय जैन, मनोज जैन, के.एल. जैन, सुरेंद्र सिंघई, मनोज मोदी, गोपीचंद जैन, दिनेश जैन, रमेश जैन, प्रशांत जैन, नीरज जैन, नरेंद्र सिंघई, अजय अहिंसा, संतोष जैन, भोलू जैन, विजय जैन, डॉ. महेंद्र जैन, पुष्पेंद्र मोदी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।  

कार्यक्रम का समापन मंगल भावना और जयकारों के साथ हुआ। मुनि श्री के प्रेरणादायक प्रवचनों से श्रद्धालुओं को जीवन में सकारात्मक सोच अपनाने और आत्मबल के साथ आगे बढ़ने का महत्वपूर्ण संदेश मिला।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी
संपर्क सूत्र:9977110734

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