अपना धर्म अपना देश अपनी संस्कृति के लिए जिए मुनि सुधा सागर।
बहोरिवंद:
मैं हूं अपने में स्वयं पूर्ण पर कि मुझ में कुछ गंध नहीं मैं अरस अरूपी अस्पर्शी पर से कुछ भी संबंध नहीं. यह जैनागम की वस्तु स्वतंत्रता का उद्घोष है आत्मा के उद्धार में स्वयं आत्मा ही कार्य कारण है परमात्मा एवं गुरु तो निमित्त मात्र हैं गुरु हमारे लिए परमात्म तत्व तक चरण चिन्ह है मार्गदर्शक हैं शुभ भाव के हेतु हैं यही शुभ भाव परंपरा से मोक्ष का कारण भी है
हमारा भारत जहां ऋषि मुनियों भगवान तीर्थंकर चक्रवर्ती सलाका पुरुष जैसे महान व्यक्तित्व के धनी ने जन्म लिया ऐसी पवित्र पुण्य धरा को छोड़कर आर्थिक दौड़ में अपने परिजनों को अनाथ जैसा छोड़कर युवा विदेश जा रहे हैं जहां धर्म की चर्चा चर्या करें मंदिर भगवान गुरु एवं तीर्थ एवं सेवा सुश्रिता का अवसर भी नहीं है हमारा जन्म इस धरा पर इसलिए हुआ था कि हम अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाकर स्वयं का जीवन जीवन बनाते पर अफसोस व्यक्तिगत मन से कह रहा हूं कि हम अपने इस कृत्य के माध्यम से अनाथ पने की जिंदगी को न्योता दे रहे हैं कर्म फल के अनुसारअब कभी तुम्हें भारतीय वसुंधरा प्राप्त नहीं होगी कूकर सूकर जैसी अनाथ बेसहारा जीवन व्यतीत करोगे तुमने माता-पिता परिजन पुरजन छोड़े हैं तैयार रहें ऐसा जीवन जीने के लिए जहां तुम्हारे सिर पर कोई हाथ रखने वाला नहीं होगा
कार्यक्रम के प्रथम चरण में वालम्हचारी प्रदीपभैया के निर्देशन मे मंदिरजी मे पूजन विधानअभिषेक एवं सामूहिक शांति धारा का आयोजन बड़ी संख्या में उपस्थित धर्म प्रेमी जनों की उपस्थिति में संपन्न किया गया तरुण काला उत्तम चंद जैन कोयला अशोक पाटनी श्रीमती सुशीला पाटनी राकेश जैन गोलाकोट पूर्व अध्यक्ष राजकुमार सिंघई अनिल जैन प्रमोद काका प्रमोद जैन चूना अनुराग जैन प्रेमचंद प्रेमी मिठ्ठू लाल जैन के एल जैन सुरेन्द्र सिंघई मनोज मोदी गोपीचंद जैन दिनेश जैन रमेश जैन प्रशांत जैन सुरेन्द्र सिंघई पुष्पेन्द्र मोदी आदि की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही