विद्यार्थियों को पंचगव्य निर्माण एवं उपयोग का तकनीकी प्रशिक्षण।
जैविक खेती के लिए स्वरोजगार का नया मार्ग।
कटनी:
प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय कटनी में उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश शासन द्वारा व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों को स्वरोजगार स्थापित करने के उद्देश्य से तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बाजपेई के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉक्टर व्ही. के. द्विवेदी के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
प्रशिक्षण के अंतर्गत विद्यार्थियों को पंचगव्य के निर्माण एवं उपयोग की विधि सिखाई गई। पंचगव्य बनाने के लिए देसी गाय के गोबर 5 किलोग्राम, गोमूत्र 3 लीटर, दूध 2 लीटर, दही 2 लीटर, घी 500 ग्राम, गुड़ 500 ग्राम एवं 12 पके हुए केले को एक प्लास्टिक ड्रम में 18 दिनों तक रखा जाता है। इसे दिन में दो बार डंडे से हिलाना आवश्यक होता है।
इसका उपयोग कृषि में विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है। तीन प्रतिशत घोल बनाकर बीज एवं जड़ उपचार, कंद उपचार, फलदार वृक्षों एवं फसलों पर छिड़काव, बीज भंडारण एवं सिंचाई के दौरान खेत में प्रवाहित किया जाता है, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। पंचगव्य खाद, कीटनाशक एवं वृद्धि कारक उत्प्रेरक के रूप में भी कार्य करता है। इसे एक बार तैयार कर छह माह तक उपयोग किया जा सकता है।
पंचगव्य के प्रयोग से भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है, उर्वरा शक्ति में सुधार होता है, फसल उत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है। यह भूमि में हवा एवं नमी बनाए रखने में सहायक होता है तथा फसलों में कीट एवं रोग के प्रभाव को कम करता है। यह एक सरल एवं सस्ती तकनीक है, जो जैविक खेती को बढ़ावा देती है और किसानों के लिए एक उपयोगी साधन साबित हो सकती है।