विद्यार्थियों को स्वयं का प्रतिष्ठान स्थापित करने एवं परियोजना प्रबंधन का दिया गया प्रशिक्षण।
शासकीय महाविद्यालय विजयराघवगढ़ में जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु व्यावसायिक शिक्षा का आयोजन।
विजयराघवगढ़,कटनी:
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने और विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शासकीय महाविद्यालय विजयराघवगढ़ में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रचार्या डॉ सुषमा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ अरुण कुमार सिंह और डॉ सुमन पुरवार के सहयोग से आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को जैविक खेती और स्वरोजगार के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वयं का प्रतिष्ठान स्थापित करने के चरणों जैसे – खोज, मॉडलिंग, स्टार्ट-अप, अस्तित्व, सफलता, अनुकूलन, स्वतंत्रता एवं निकास आदि के बारे में जानकारी प्रदान की।
विशेषज्ञ ने बताया कि उद्यम निर्माण के इन चरणों के माध्यम से कोई भी विद्यार्थी अपने व्यवसाय को एक स्थाई और व्यावसायिक इकाई के रूप में विकसित कर सकता है। यह प्रशिक्षण विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर और स्वरोजगार के प्रति प्रेरित करने के लिए दिया गया।
इसके साथ ही, परियोजना प्रबंधन के महत्व पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। विशेषज्ञ ने बताया कि परियोजना प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य एक संपूर्ण परियोजना तैयार करना है, जो ग्राहक की आवश्यकताओं और उद्देश्यों के अनुरूप हो। परियोजना प्रबंधन के दृष्टिकोण से कार्यों को संपादित करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं, विधियों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है। यह दृष्टिकोण परियोजना के जटिलताओं को सरल बनाने और जोखिमों को कम करने में सहायक होता है।
प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों को व्यवसाय के तकनीकी पक्ष, स्थायित्व और दीर्घकालिक सफलता के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी गई। जैविक खेती को एक सतत् एवं लाभदायक व्यवसाय के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक संसाधनों, रणनीतियों और व्यावसायिक दृष्टिकोण के बारे में समझाया गया।
इस प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों में स्वरोजगार स्थापित करने और जैविक खेती के क्षेत्र में अपने स्वयं के प्रतिष्ठान को संचालित करने के लिए आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ। महाविद्यालय के प्रचार्या डॉ सुषमा श्रीवास्तव ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों को न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रशिक्षण समन्वयक डॉ अरुण कुमार सिंह एवं डॉ सुमन पुरवार ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि जैविक खेती वर्तमान समय में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है और इसमें स्वरोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होंगे।
इस आयोजन में महाविद्यालय के शिक्षकगण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। सभी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए जैविक कृषि विशेषज्ञ और महाविद्यालय प्रशासन का आभार व्यक्त किया। विद्यार्थियों ने भी प्रशिक्षण के दौरान मिली जानकारी को उपयोगी बताते हुए भविष्य में जैविक खेती एवं स्वरोजगार के क्षेत्र में कार्य करने का संकल्प लिया।