मुनि सुधा सागर जी ने कहा - भारत देश पवित्र मंदिर है, इसे दूषित न करें।
प्रथम महा मस्तिकाभिषेक में उमड़ी आस्था, धर्मसभा में हजारों श्रद्धालुओं ने लिया धर्म-आचरण का संकल्प।
बहोरीबंद:
चमत्कारोदय तीर्थ क्षेत्र बहोरीबंद में आयोजित प्रथम महा मस्तिकाभिषेक महोत्सव के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य विद्यासागर जी महामूनीराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज ने कहा कि भारत देश एक पवित्र मंदिर के समान है, जहां तप, त्याग, साधना और आराधना की परंपरा हजारों वर्षों से प्रवाहित होती आ रही है।
उन्होंने कहा कि यह देश ऋषियों, मुनियों, संतों और तपस्वियों की तपोभूमि रहा है, जहां पुण्य आत्माओं का जन्म, निर्माण, समाधि और आत्मकल्याण हुआ है। इस पवित्र भूमि में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति आर्य पुत्र है और उसे अपने आचरण, व्यवहार और जीवनशैली को भारतीय संस्कृति के अनुरूप बनाना चाहिए।
मुनि श्री ने कहा कि हम इस पुण्यभूमि के पुत्र हैं और इसकी वंदना करना हमारा धर्म है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का उद्घोष वही कर सकता है, जिसके पूर्वजों का जन्म-मरण इस पवित्र धरती पर हुआ हो। इस पवित्र भूमि पर जन्म लेने का अर्थ है कि हम धर्म, संस्कार, सच्चाई और पवित्रता के मार्ग पर चलें।
मुनि श्री ने कहा कि वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण और नशा, व्यसन जैसी अनर्गल क्रियाएं हमारे समाज को दूषित कर रही हैं।उन्होंने कहा कि हमें पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर अपनी वैदिक संस्कृति, धर्म और संस्कारों को अपनाना चाहिए। यह देश गंगा के समान पवित्र है, इसे दूषित न करें।
उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति ही हमारी पहचान है। यदि हम धर्म और संस्कृति को भूल गए तो यह देश अपनी पहचान खो देगा। मुनि श्री ने कहा कि आर्य पुत्रों को अपने खान-पान, आचरण, भाषा और व्यवहार को सात्विक और पवित्र रखना चाहिए। अनैतिक कार्य, नशा, व्यसन और पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर हम अपने देश, धर्म और संस्कृति के साथ अन्याय कर रहे हैं।
रविवार प्रातः भगवान शांतिनाथ जी के गगन विहार के पश्चात प्रथम महा मस्तिकाभिषेक का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस दौरान 1008 मंगल कलशों के साथ जयघोष करते हुए भगवान शांतिनाथ जी की शांतिधारा कराई गई। श्रद्धालुओं ने भगवान के अभिषेक में भाग लेकर पुण्य संचय का लाभ प्राप्त किया।
चमत्कारोदय तीर्थ क्षेत्र में स्थित हजारों वर्ष पुरानी भगवान की मनोज्ञ प्रतिमा, जो वर्षों से श्रद्धा और भक्ति का केंद्र रही है, उस पर महा मस्तिकाभिषेक के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने नमन कर अपनी भक्ति प्रकट की। इस दौरान क्षेत्र विकास हेतु तन, मन, धन से सहयोग करने का संकल्प लिया गया।
इस महा आयोजन के अवसर पर कटनी, जबलपुर, सागर, रीठी, बड़गांव, रैपुरा, बाकल, बचैया, सिहोरा, खितोला, स्लीमनाबाद, तेवरी आदि नगरों से हजारों श्रद्धालु उपस्थित हुए। आयोजन के दौरान क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी एवं भक्तगणों ने तन-मन-धन से सहयोग कर आयोजन को भव्यता प्रदान की।
इस भव्य आयोजन में उपस्थित प्रमुख श्रद्धालु:
अशोक जैन कोयला परिवार, सुधा जैन, चंद्रसेन जैन, नंदलाल जैन, अशोक जैन, आभा जैन, डॉ. पी.के. जैन, सुरेंद्र सिंघई, विजय जैन (डब्बू), उत्तमचंद जैन (कोयला), प्रमोद काका, प्रमोद जैन (चूना), अनुराग जैन, प्रेमचंद प्रेमी, विनय जैन, मनोज जैन, मनोज मोदी, प्रशांत जैन, नीरज जैन, नरेंद्र सिंघई, अजय अहिंसा, भोलू जैन, पुष्पेंद्र मोदी आदि सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस आयोजन के माध्यम से मुनि श्री ने सभी श्रद्धालुओं को धर्म, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि जो धर्म, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलेगा, वही इस पवित्र भूमि का सच्चा पुत्र कहलाएगा।
मुनि श्री के प्रवचन के पश्चात समस्त श्रद्धालुओं ने क्षेत्र विकास एवं धर्म प्रभावना हेतु तन-मन-धन से सहयोग देने का संकल्प लिया। धर्मसभा के समापन पर मुनि श्री ने सभी श्रद्धालुओं को मंगल आशीर्वाद प्रदान कर उनके जीवन में धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
इस भव्य आयोजन के बाद श्रद्धालुओं ने मुनि श्री के सानिध्य में रहकर पुण्य लाभ प्राप्त किया और क्षेत्र विकास हेतु पूर्ण सहयोग का संकल्प लिया। चमत्कारोदय तीर्थ क्षेत्र बहोरीबंद के इस प्रथम महा मस्तिकाभिषेक ने धर्म, आस्था और भक्ति का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया।