शिवरात्रि के शुभ अवसर पर आध्यात्मिक जागरण।
एक दिव्य समाज बनाना हमारा कर्तव्य – ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी।
विदिशा:
शिवरात्रि के पावन अवसर पर ए-33, मुखर्जी नगर स्थित ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेंद्र द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शिव भोलेनाथ की भव्य साज-सज्जा कर बैंड-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपने उद्बोधन में कहा, "आओ आध्यात्मिक अलख जगाएं, एक दिव्य समाज बनाएं।" उन्होंने कहा कि एक दिव्य समाज बनाना हम सबका कर्तव्य और लक्ष्य है। यही परमात्मा के दिव्य अवतरण का उद्देश्य भी है। जब मनुष्य धर्म भ्रष्ट और कर्म भ्रष्ट होकर तुच्छ बुद्धि बन जाता है, तब परमात्मा शिव संसार के कल्याण हेतु ज्ञान और पवित्रता की किरणों से एक नए सुखमय संसार की स्थापना करते हैं, जिसे सतयुग कहा जाता है।
शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व:
बीके अनु बहन ने कहा कि शिव परमपिता परमात्मा विश्व कल्याणकारी, दुख हर्ता और सुख कर्ता हैं। वह सृष्टि के रचयिता और पालनहार हैं, जो समय-समय पर धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अवतरित होते हैं। उन्होंने बताया कि शिव को सोमनाथ, अमरनाथ, विश्वनाथ, पशुपतिनाथ आदि अनेक नामों से पूजा जाता है और 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में उनकी महिमा समस्त विश्व में गाई जाती है।
धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक प्रस्तुति:
कार्यक्रम के दौरान बहन रीना ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और शिवरात्रि के इस पावन पर्व की महिमा पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात मनीषा बहन एवं आहना बहन द्वारा शिव महिमा पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिससे पूरी सभा भक्ति भाव से झूम उठी। इस सांस्कृतिक प्रस्तुति ने वहां उपस्थित श्रद्धालुओं के मन को भक्तिमय कर दिया।
शिव आरती एवं दिव्य संकल्प:
कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर शिव भोलेनाथ की आरती की और शिव ध्वज फहराया। इस शुभ अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने स्वयं को बुराइयों से मुक्त करने, सकारात्मक सोच अपनाने एवं एक दिव्य समाज के निर्माण में योगदान देने का संकल्प लिया।
सकारात्मकता और दिव्यता की ओर एक कदम:
ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेंद्र के इस कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिकता के महत्व को समझा और यह स्वीकार किया कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए सबसे पहले स्वयं को बदलना आवश्यक है। परमात्मा शिव की ज्ञान और पवित्रता की ज्योत को आत्मसात कर एक दिव्य समाज की स्थापना ही उनके अवतरण का मूल उद्देश्य है।
इस आध्यात्मिक आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और परमात्मा शिव के दिव्य संदेश को आत्मसात करते हुए आत्मशुद्धि और समाज उत्थान का संकल्प लिया।