नहर छूटने के ढाई माह बाद भी टेल क्षेत्र के किसान पानी से वंचित।

 नहर छूटने के ढाई माह बाद भी टेल क्षेत्र के किसान पानी से वंचित।

-नहर क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत, फसलें प्रभावित  

-बाहरी किसानों द्वारा पानी उठाने से टेल क्षेत्र के किसान परेशान  

प्रशासन की लापरवाही से गंभीर संकट में किसान।

विदिशा।

संजय सागर बांध परियोजना के अंतर्गत आने वाले गांवों के किसानों को नहर के पानी की कमी से जूझना पड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब नहर से पानी छोड़े हुए ढाई माह बीत चुके हैं। बावजूद इसके, टेल क्षेत्र के किसानों तक पानी नहीं पहुंच पाया है। इसका सीधा असर किसानों की फसल और उनकी आजीविका पर पड़ रहा है।  

.           टेल क्षेत्र के गांवों की समस्याएं:

ग्राम नटेरन, खाईखेड़ा, चमरया, रावण, रायपुर, घिनोचि, बेलानारा, खैराई और ताज खजूरी सहित कई गांवों में नहर का पानी नहीं पहुंच रहा है। किसानों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण यह समस्या बनी हुई है।  

नहर क्षेत्र के बाहर के किसान भारी मात्रा में पानी उठा रहे हैं, जिससे टेल क्षेत्र के किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा। इससे किसानों की स्थिति और गंभीर हो गई है।  

प्रशासनिक उदासीनता का शिकार किसान:

जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि यशपाल रघुवंशी ने नहर स्थल का दौरा किया और नहर विभाग के एसडीओ कौशल सिंह से मुलाकात की। उन्होंने किसानों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि जिन माइनरों में पानी नहीं पहुंच रहा है, वहां जल्द से जल्द पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।  

हालांकि, एसडीओ का कहना है कि टेल क्षेत्र के बाहर के किसानों द्वारा पानी उठाने की वजह से यह समस्या हो रही है। विभाग ने पानी की समस्या हल करने का आश्वासन दिया है, लेकिन अब तक किसी ठोस कदम के संकेत नहीं मिले हैं।  

.              किसानों की आपबीती:

ग्राम सेऊ के किसान बृजेंद्र रघुवंशी और जी साहब ने बताया कि माइनर एलएन 3 और एलएन 4 में अब तक पानी नहीं पहुंचा है। इसी तरह ग्राम बेलानारा के किसान पुरन सिंह रघुवंशी का कहना है कि पूरे सीजन में नहर में एक हफ्ते के लिए भी पानी नहीं छोड़ा गया।  

यह समस्या सिर्फ एक या दो गांवों तक सीमित नहीं है। ताज खजूरी, खैराई और घिनोचि के किसान भी नहर के पानी से वंचित रहे हैं। किसानों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि टेल क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को बार-बार अनदेखा किया जा रहा है।  

.      बारिश बनी अस्थायी राहत का सहारा:

नहर में पानी न मिलने की स्थिति में किसानों के लिए हाल में हुई बारिश एक अस्थायी राहत साबित हुई। हालांकि, किसान यह भी मानते हैं कि बारिश हर बार उनकी फसलों को बचाने का समाधान नहीं हो सकता।  

फसल उत्पादन के लिए नहर का पानी सबसे अहम है। समय पर पानी न मिलने की वजह से फसलें सूख रही हैं और उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है।  

.            प्रशासन से कार्रवाई की मांग:

किसानों ने जिला प्रशासन और नहर विभाग से मांग की है कि नहर क्षेत्र के बाहर पानी उठा रहे किसानों पर सख्त कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही टेल क्षेत्र में पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।  

अगर यह समस्या जल्द हल नहीं हुई, तो किसानों ने आंदोलन का रास्ता अपनाने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि वे अपनी फसलें और आजीविका बचाने के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं।  

.        संजय सागर परियोजना पर सवाल:

संजय सागर बांध परियोजना से जुड़ी नहरों में पानी की उचित आपूर्ति न होना, इस परियोजना की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से बनी यह परियोजना किसानों को राहत देने के लिए थी, लेकिन प्रशासन की अनदेखी और प्रबंधन की कमी ने इसे असफल बना दिया है।  

.         कृषि पर गहराते संकट के बादल:

टेल क्षेत्र में पानी की समस्या से जुड़े किसान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि स्थिति नहीं बदली, तो उनके भविष्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। फसलें सूखने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति खराब होगी, बल्कि इससे क्षेत्र में कृषि उत्पादन भी प्रभावित होगा।  

.                      समाप्ति पर:

अब यह जिला प्रशासन और नहर विभाग की जिम्मेदारी है कि वह इस गंभीर समस्या का जल्द समाधान निकाले। किसानों को उनका अधिकार दिलाने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि उनकी मेहनत बेकार न जाए और उनकी फसलें समय पर पानी पाकर सुरक्षित रहें।  


ग्रामीण खबर एमपी से विदिशा जिला ब्यूरो यशवंत सिंह रघुवंशी की रिपोर्ट।

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