कछारगांव छोटा राशन दुकान में विक्रेता के द्वारा राशन वितरण में अनियमितता का मामला।हाल ही में सामने आया, जिससे ग्रामीणों के बीच गहरी नाराजगी और आक्रोश पैदा हो गया।
उमरियापान:
कछारगांव छोटा के राशन दुकान में विक्रेता राजेश दाहिया द्वारा राशन वितरण के दौरान कई अनियमितताएँ सामने आईं। विक्रेता ने तीन महीने के बजाय दो महीने का राशन दिया। जबकि कछारगांव छोटा में करीब 300 खाद्यान पर्चियों का राशन वितरण होना था, उसमें से केवल 250 पर्चियों का राशन वितरित किया गया। यह बात सामने आने के बाद उन 50 परिवारों को राशन नहीं मिल पाया, जो इस वितरण के अंतर्गत आते थे। राशन न मिलने से ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने विक्रेता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। राशन न मिलने से ग्रामीणों में गहरी नाराजगी व्याप्त हो गई। उनके अनुसार, पहले से ही विक्रेता द्वारा राशन वितरण में अनियमितताएँ की जा रही थीं, जिससे उन्हें कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इस बार जब राशन वितरण में और भी अनियमितताएँ सामने आईं, तो ग्रामीणों का धैर्य टूट गया और उन्होंने विक्रेता का घेराव किया। ग्रामीणों ने तुरंत राशन वितरण को रोकते हुए विक्रेता के खिलाफ हंगामा करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि विक्रेता द्वारा राशन की कालाबाजारी की जा रही है, जिससे राशन जरूरतमंदों तक नहीं पहुँच पा रहा है। यह स्थिति ग्रामीणों के लिए बेहद कठिनाईपूर्ण थी, क्योंकि उन्हें महीनों तक राशन की आपूर्ति में देरी हो रही थी।
अधिकारी केवल नाम के लिए करते हैं कार्यवाही।
जैसे ही ग्रामीणों ने फोन पर फूड विभाग और राजस्व अधिकारियों को इस अनियमितता की जानकारी दी, प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। उमरियापान थाना प्रभारी सिद्धार्थ राय, एएसआई कोदुलाल दाहिया, प्रधान आरक्षक योगेंद्र सिंह, अजय तिवारी और आशीष मेहरा मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभालने की कोशिश की। पुलिस ने विक्रेता और ग्रामीणों के बीच समझौता कराने के प्रयास किए। विक्रेता ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जिन 50 हितग्राहियों को राशन नहीं मिल पाया है, उन्हें दो से तीन दिन के भीतर राशन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद ही ग्रामीण शांत हुए और विक्रेता को जाने दिया। पुलिस की समझाइश और विक्रेता के आश्वासन के बाद स्थिति सामान्य हुई।
सेल्समैन पर होना चाहिए एफ आई आर।
फूड विभाग के ब्रजेश जाटव, फूड इंस्पेक्टर ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कछारगांव छोटा राशन दुकान के विक्रेता के द्वारा राशन वितरण में अनियमितता की जानकारी पहले से ही प्राप्त हो चुकी थी। इसके चलते विक्रेता के खिलाफ पहले से ही एक प्रकरण चल रहा था। विभागीय अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और विक्रेता पर कार्रवाई की बात की। ब्रजेश जाटव ने आगे कहा कि राशन वितरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता या कालाबाजारी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि जिन ग्रामीणों को राशन नहीं मिला, उन्हें शीघ्र ही राशन उपलब्ध कराया जाएगा। इस पूरे मामले में विभागीय अधिकारियों ने कहा कि विक्रेता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
गरीब आदमी राशन को परेशान।
यह मामला राशन वितरण की व्यवस्था में बगैर किसी पारदर्शिता के चल रही प्रक्रियाओं का प्रमाण है। सरकारी योजनाओं और वितरण व्यवस्थाओं की खामियाँ समय-समय पर सामने आती रही हैं। हालांकि सरकार ने कई योजनाओं के माध्यम से राशन वितरण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है, लेकिन जमीन पर स्थिति में सुधार की आवश्यकता बनी हुई है। सरकारी योजनाओं का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति को समय पर और उचित मूल्य पर राशन मिले, खासकर गरीब और जरूरतमंद परिवारों को। लेकिन जब इन योजनाओं को लागू करने वाले अधिकारियों और विक्रेताओं की ओर से अनियमितताएँ होती हैं, तो योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगते हैं। यह घटना भी ऐसे ही सवालों को जन्म देती है कि आखिरकार विक्रेताओं को किस तरह से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंच सके।