अतिथि शिक्षक और वकील मिलकर करते हैं पत्रकारिता। अधिकारियों,सरपंच,सचिव को करते हैं ब्लैकमेल।ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र का मामला।जनसंपर्क अधिकारी करे इनकी जांच।

 अतिथि शिक्षक और वकील मिलकर करते हैं पत्रकारिता। अधिकारियों,सरपंच,सचिव को करते हैं ब्लैकमेल।ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र का मामला।जनसंपर्क अधिकारी करे इनकी जांच।

उमरियापान:

अतिथि शिक्षक और वकील का पत्रकारिता में घुसपैठ समाज और मीडिया की स्वतंत्रता के लिए खतरे की घंटी है। इन दो पेशों के लोग जो अक्सर न्यायिक या शैक्षिक मामलों से जुड़े होते हैं, उनकी पत्रकारिता में भागीदारी पत्रकारिता के स्वतंत्र और निष्पक्ष दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकती है। जब ये लोग मीडिया के माध्यम से अपनी व्यक्तिगत या पेशेवर मजबूरियों को सामने लाते हैं, तो यह समाज में नकारात्मक प्रभाव डालता है। अतिथि शिक्षक, जो आमतौर पर अस्थायी और कच्चे कर्मचारियों के रूप में काम करते हैं, अपनी स्थायित्व की चिंता से जूझते हैं। ऐसे में यदि वे मीडिया के माध्यम से अपनी समस्या उठाते हैं, तो वे अक्सर इन मुद्दों को सनसनीखेज और पक्षपाती तरीके से प्रस्तुत करते हैं। यह न केवल उनके पेशेवर हितों को प्रभावित करता है, बल्कि पत्रकारिता के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है। वहीं, वकील अपने अधिकारों और मुकदमों के दौरान मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर वे किसी खास मामले में न्यायिक प्रक्रिया के लिए दबाव डालने के लिए पत्रकारिता का सहारा लेते हैं, तो यह मीडिया की निष्पक्षता और सच्चाई को कमजोर कर सकता है। ब्लैकमेलिंग का मुद्दा उन परिस्थितियों को उत्पन्न करता है जहाँ पर कुछ लोग अपने लाभ के लिए दूसरों को डराते या धमकाते हैं। जब यह ब्लैकमेलिंग पत्रकारिता के साथ जुड़ती है, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। ऐसे मामलों में, पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग के माध्यम से किसी व्यक्ति या संस्था को धमकाते हैं, ताकि उन्हें अपनी शर्तों पर काम करवाया जा सके। कोई वकील नियम के तहत पत्रकारिता नहीं कर सकता और कम्प्यूटर आपरेटर कैसे इनको रखा गया हैं जो समझ से परे हैं। अतिथि शिक्षक छात्रावास में कोचिंग पढाता हैं जिसमे भी कोचिंग तो कोचिंग बल्कि पत्रकारिता का रौब दिखाता हैं जो समझ से परे हैं। सरपंच, सचिव, और अन्य अधिकारियों के मामले में, जब ये लोग मीडिया के माध्यम से दबाव डालते हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक कार्यों को प्रभावित करता है, बल्कि आम लोगों के विश्वास को भी तोड़ता है। प्रशासन में जब किसी अधिकारी या सरपंच को गलत तरीके से प्रभावित किया जाता है, तो यह न केवल उनके कार्यों को असंवैधानिक बनाता है, बल्कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था की संप्रभुता भी कमजोर होती है। जनसंपर्क अधिकारी का कार्य मीडिया और प्रशासन के बीच एक पुल का निर्माण करना है। उनका मुख्य कार्य जनता के बीच सरकार के कार्यों और योजनाओं को पहुंचाना होता है। जब जनसंपर्क अधिकारी को यह जानकारी मिलती है कि कुछ लोग पत्रकारिता का दुरुपयोग करके ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं, तो उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे इस पर सख्ती से कार्रवाई करें। जनसंपर्क अधिकारी को ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच शुरू करनी चाहिए, ताकि पत्रकारिता का दुरुपयोग न हो और प्रशासन की छवि पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। ऐसे मामलों में, उन्हें मीडिया के विभिन्न माध्यमों से सही जानकारी इकट्ठा करनी चाहिए और संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर कार्रवाई करनी चाहिए।

   जनसंपर्क अधिकारी को जांच का अधिकार

जनसंपर्क अधिकारी को सबसे पहले यह देखना चाहिए कि क्या मीडिया के किसी वर्ग विशेष द्वारा ब्लैकमेलिंग की जा रही है। इसके लिए उन्हें प्रेस नोट्स, खबरों की गुणवत्ता, और मीडिया की रिपोर्टिंग के तरीके की जांच करनी चाहिए। इसके बाद, जांच अधिकारियों के सहयोग से उन वकीलों और शिक्षकों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए जो पत्रकारिता में शामिल हैं और उनकी जांच करनी चाहिए कि क्या वे किसी कानूनी या शैक्षिक स्वार्थ के लिए इस रास्ते का पालन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी अधिकारी या सरपंच किसी दबाव के कारण गलत काम करने के लिए मजबूर न हो। जब किसी अधिकारी पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगता है, तो उसकी ईमानदारी और कार्यक्षमता पर भी सवाल उठते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए, सरकार और प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। जो लोग मीडिया के माध्यम से ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं, उन्हें उजागर किया जाना चाहिए और कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। जनसंपर्क अधिकारी इस पूरी प्रक्रिया में भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि वे प्रशासन और मीडिया के बीच एक कड़ी का काम करते हैं।


              प्रधान संपादक:
                अज्जू सोनी
      संपर्क सूत्र:9977110734

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