महाकुंभ में भगदड़ से बड़ा हादसा:संगम तट पर 30 श्रद्धालुओं की मौत,60 घायल।
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश:
29 जनवरी 2025 की रात महाकुंभ मेले में संगम तट पर हुए भीषण हादसे में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। मौनी अमावस्या के अवसर पर लाखों भक्त संगम स्नान के लिए पहुंचे थे, लेकिन अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्थित प्रबंधन के कारण भगदड़ मच गई। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।
. घटना का विवरण:
मंगलवार और बुधवार की मध्यरात्रि संगम नोज क्षेत्र पर लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए एकत्र हुए थे। रात करीब 1 बजे भीड़ अत्यधिक बढ़ जाने के कारण अव्यवस्था फैल गई। चश्मदीदों के अनुसार, संगम तट पर बैरिकेड्स अचानक टूट गए, जिससे श्रद्धालु असंतुलित होकर गिरने लगे और भगदड़ मच गई। इस दौरान कई श्रद्धालु नीचे दब गए और दम घुटने से मौत हो गई।
प्राथमिक रिपोर्टों के अनुसार, प्रशासन ने संगम तट की ओर जाने वाले घाटों को डायवर्ट करने का प्रयास किया था, लेकिन श्रद्धालु संगम स्नान के लिए अड़े रहे। इसी जिद और अत्यधिक भीड़ के कारण हालात बिगड़ गए।
. राहत और बचाव कार्य:
घटना की सूचना मिलते ही प्रयागराज पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिया। दर्जनों एम्बुलेंस तुरंत मौके पर पहुंचीं और घायलों को महाकुंभ स्थित केंद्रीय चिकित्सालय एवं अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
. प्रमुख राहत कार्य:
-घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
-संगम क्षेत्र में NSG कमांडो को तैनात किया गया ताकि दोबारा ऐसी स्थिति न बने।
-पूरे महाकुंभ क्षेत्र में मीडिया और प्रशासन द्वारा लगातार अनाउंसमेंट कर श्रद्धालुओं को संगम तट पर जाने से रोकने की कोशिश की जा रही है।
-शवों की पहचान कर परिजनों को सूचना दी जा रही है।
. सरकारी बयान और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त किया और जांच के आदेश दिए। उन्होंने अपील की कि श्रद्धालु संगम पर स्नान करने की अनिवार्यता न समझें और अन्य घाटों पर भी स्नान करें।
. मुख्यमंत्री ने कहा:
"गंगा हर जगह पवित्र है। सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि किसी भी घाट पर स्नान करें, संगम पर अत्यधिक भीड़ न बढ़ाएं।"
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
. नेताओं की प्रतिक्रियाएं:
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:
-"महाकुंभ में हुए इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे से मैं बहुत दुखी हूं। सभी शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।"
-राहुल गांधी:
"सरकार की लापरवाही और वीआईपी संस्कृति के कारण यह हादसा हुआ है।"
-अखिलेश यादव:
"महाकुंभ का प्रबंधन अब सेना के हवाले कर देना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।"
. पीड़ितों की पहचान और स्थिति:
मृतकों में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और असम के श्रद्धालु शामिल हैं। अब तक 25 शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि बाकी की पहचान की जा रही है।
. घायलों की स्थिति:
-20 से अधिक लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है।
-10 से ज्यादा श्रद्धालुओं को हाई सेंटर रेफर किया गया है।
-30 से अधिक घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
. सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल:
महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस तरह की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
-क्या प्रशासन को पहले से अनुमान नहीं था कि इतनी भीड़ होगी?
-क्या बैरिकेडिंग और भीड़ नियंत्रण के इंतजाम पर्याप्त थे?
-क्या श्रद्धालुओं के लिए वैकल्पिक स्नान घाटों को सही तरीके से प्रचारित किया गया था?:
इस घटना के बाद महाकुंभ में सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा शुरू हो गई है। प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण को लेकर नई रणनीति अपनाने का फैसला लिया है, जिसमें घाटों की संख्या बढ़ाने और मार्गों को पुनर्निर्देशित करने की योजना है।
. भविष्य के लिए सबक:
महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। प्रशासन को चाहिए कि:
1.श्रद्धालुओं की संख्या को घाटवार सीमित किया जाए ताकि एक स्थान पर ओवरक्राउडिंग न हो।
2.रियल-टाइम भीड़ नियंत्रण सिस्टम और CCTV मॉनिटरिंग बढ़ाई जाए।
3.श्रद्धालुओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाए कि संगम के अलावा अन्य घाटों पर भी स्नान किया जा सकता है।
4.अतिरिक्त बैरिकेडिंग और फायर एग्जिट पॉइंट बनाए जाएं ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
. निष्कर्ष:
महाकुंभ का आयोजन करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव होता है, लेकिन इस तरह की घटनाएं इसकी पवित्रता को आघात पहुंचाती हैं। इस त्रासदी से सीख लेते हुए, भविष्य में सुरक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी और तकनीकी रूप से मजबूत किया जाना चाहिए ताकि कोई भी श्रद्धालु असमय अपनी जान न गंवाए।