जैविक खेती में गोबर-गोमूत्र का महत्व: कीट एवं रोग नियंत्रण पर विशेष प्रशिक्षण।

 जैविक खेती में गोबर-गोमूत्र का महत्व: कीट एवं रोग नियंत्रण पर विशेष प्रशिक्षण।

प्रधानमंत्री कॉलेज कटनी में छात्रों को स्वरोजगार हेतु जैविक खेती का व्यावसायिक प्रशिक्षण।

कटनी,मध्यप्रदेश:

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कटनी में मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों को शिक्षा के साथ स्वरोजगार स्थापित करने के उद्देश्य से जैविक खेती का व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

यह प्रशिक्षण जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के अंतर्गत महाविद्यालय में स्थापित वनस्पति उद्यान, नक्षत्र वाटिका, और जैविक खाद एवं कीटनाशकों के निर्माण प्रक्रियाओं का निरीक्षण किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुनील बाजपेई, प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. वी. के. द्विवेदी, और विशेषज्ञ रामसुख दुबे ने छात्रों को जैविक खेती के महत्व एवं तकनीकों से अवगत कराया।

प्रशिक्षण में यह बताया गया कि देशी गाय के 1 ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं, जो पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। गोमूत्र में 33 प्रकार के लाभकारी तत्व होते हैं, जो जैविक खाद, कीटनाशक, और बीज उपचार में उपयोगी हैं।

छात्रों को गोमूत्र से रोग नियंत्रण, शीघ्र खाद निर्माण, और पौध पोषण के सरल एवं जैविक उपायों की जानकारी दी गई। कम लागत की "जीरो बजट फार्मिंग" तकनीक के तहत फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों, जैसे फली छेदक, रस चूषक, और पौध गलन जैसी बीमारियों के जैविक नियंत्रण उपायों पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया।

यह पहल छात्रों को न केवल जैविक खेती के लिए प्रेरित करती है, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के नए अवसरों से भी जोड़ती है।


चीफ एडिटर: अज्जू सोनी
मोबाइल नंबर: 9977110734

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