उमरिया जिले के कलेक्टर खरीदी केंद्र प्रभारी अखराड़ और ताला के ऊपर करवाएंगे एफ. आई. आर., खरीदी केंद्र में खरीदी प्रभारी कोई और खरीदी कर रहा कोई और, नियमो को ताक में रखकर की जा रही खरीदी, साहूकारों को बनाया सिर का ताज किसानों से खरीदी प्रभारी का मोह भंग।
उमरिया जिला |
शीर्षक पढ़कर दंग मत होना यह कहानी है अखराड़ और ताला खरीदी प्रभारी की स्मरण रहे कि उमरिया जिले के अंतर्गत खरीदी केंद्र अखराड़ और ताला में किसानों के साथ कमीशन का खेल खेला जा रहा है। खरीदी प्रभारी बिचौलिए का कार्य कर रहा हैं विदित हों कि कलेक्टर का सक्त निर्देश हैं कि अगर कोई भी केंद्र में बिचौलिया पाया जाता हैं तो उसके विरूद्ध एफ. आई. आर की जानी चाहिए वहीं जिला उमरिया केंद्र के अखराड़ और ताला में खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाकर खरीदी में हिस्सा ले रहा हैं।अधिकारियो की आंखों में धूल झोंकने का कार्य खरीदी प्रभारी नामक व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है। अन्नदाता जो कि देश की अर्थव्यवस्था और खाद्यान्न सुरक्षा की नींव है लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से प्रताड़ित हो रहा है। केंद्र पर किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल रहा, जबकि साहूकारों की खराब गुणवत्ता वाली धान आसानी से खरीदी जा रही है। किसानों के साथ हो रही धांधली और कमीशनखोरी का खेल केंद्र की साख पर सवाल खड़े कर रहा है। जिला उमरिया केंद्र के अखराड़ और ताला खरीदी केंद्र पर कमीशनखोरी का खेल खुलेआम जारी है। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र पर किसानों की मेहनत की उपज का सही मूल्यांकन करने के बजाय, साहूकारों और अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार का गठजोड़ है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कई दिनों तक लाइन में लगना पड़ता है, लेकिन साहूकारों की खराब गुणवत्ता वाली धान तुरंत खरीदी जा रही है। केंद्र पर हड़प्पा मशीन का उपयोग नहीं किया जा रहा है, जो कि धान की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। इससे यह संकेत मिलता है कि खराब धान को भी खरीदी में शामिल किया जा रहा है, गौरतलब हैं कि किसानों के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की जा रही है, जिससे किसानों का शोषण हो रहा है। खरीदी केंद्र को किसानों के लिए उत्पीड़न स्थल बना दिया है। जो पहले भी अनियमितताओं के कारण हटाए जा चुके हैं, अब भी केंद्र पर सक्रिय हैं। उनके खराब आचरण और अनैतिक कार्यशैली की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। किसानों के साथ दुर्व्यवहार और उनकी उपज को नकारने का सिलसिला जारी है।किसानों की उपज को खराब बताकर वापस कर दिया जाता है, जबकि साहूकारों की खराब गुणवत्ता वाली धान को आसानी से खरीदी में शामिल कर लिया जाता है। खरीदी केंद्र पर लोकायुक्त या उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि धान खरीदी प्रक्रिया में अनियमितता और भ्रष्टाचार के पीछे कौन-कौन से लोग जिम्मेदार हैं।
हर जगह किसान परेशान सुनने वाला कोई नहीं
धान बेचने आए किसानों की समस्याओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्हें अपनी उपज बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। साहूकारों के लिए विशेष सुविधाएँ और प्राथमिकता प्रदान की जा रही है, जिससे किसानों के लिए असमान स्थिति बन रही है। किसानों की अच्छी गुणवत्ता वाली धान को भी खराब बताकर अस्वीकार किया जा रहा है। कई दिनों तक लाइन में खड़े रहने के बावजूद, किसानों की उपज की खरीद में देरी की जाती है। खरीदी केंद्र पर कोई ऐसा अधिकारी मौजूद नहीं है जो किसानों की समस्याओं को सुने या उनके समाधान के लिए उचित कदम उठाए।
चंद नोटों के कारण अधिकारी नतमस्तक
साहूकारों और भ्रष्ट अधिकारियों के गठजोड़ ने खरीदी केंद्र पर किसानों की स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। साहूकारों की खराब गुणवत्ता वाली धान को तौला जा रहा है, जबकि किसानों को बार-बार वापस भेजा जा रहा है। साहूकारों की उपज को प्राथमिकता देने से यह स्पष्ट होता है कि केंद्र पर पैसों के दम पर धान की गुणवत्ता का निर्धारण किया जा रहा है।
हड़प्पा मशीन बनी नमूना साहूकारों के कमीशन से संचालित हो रहा केंद्र
धान की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हड़प्पा मशीन का उपयोग अनिवार्य है। लेकिन खरीदी केंद्र अखराड़ और ताला में इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। जिससे यह पता चलता हैं कि खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। बिना हड़प्पा मशीन के, खराब गुणवत्ता की धान भी खरीदी जा रही है, जिससे सरकारी नियमों का उल्लंघन हो रहा है।