आखिरी गांवों तक नहीं पहुंचा नहर का पानी, किसान ठंड में बेहाल।
संजय सागर डेम से पानी चालू, फिर भी घिनोचि और बेला नारा के किसान पानी की राह तकते रहे।
विदिशा।
संजय सागर डेम से एक माह पहले नहरों में पानी छोड़ा गया, लेकिन अंतिम छोर के गांवों में पानी का संकट अब भी बना हुआ है। घिनोचि, बेला नारा जैसे आखिरी गांवों के किसान पानी की प्रतीक्षा में ठंड की मार झेल रहे हैं। किसानों का कहना है कि मीडिया में सुखी नहर की खबरें दिखाए जाने के बाद एक दिन के लिए पानी छोड़ा गया था, लेकिन वह केवल नहर को गीला कर वापस बंद कर दिया गया। इसके बाद तीन दिन से पानी का नामोनिशान नहीं है।
अधिकारियों की लापरवाही और पानी का संकट
किसानों का आरोप है कि संजय सागर परियोजना सिंचाई विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते आखिरी गांवों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। निपानिया नागौर क्रॉस नहर से आगे पानी की आपूर्ति में रुकावट उत्पन्न हो रही है।
निपानिया साइट पर गेट बंद होने से परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि निपानिया साइट का गेट अज्ञात किसानों द्वारा बंद कर दिया जाता है, जिससे पानी की मात्रा आगे नहीं बढ़ पाती। इसका सबसे अधिक असर बेला नारा और घिनोचि जैसे गांवों के किसानों पर पड़ रहा है।
नीचे के गांवों का भी रखें ध्यान
ऊपरी क्षेत्र के किसानों से नीचे के किसानों ने अपील की है कि सभी किसान भाइयों को मिल-जुलकर काम करना चाहिए और पानी की आपूर्ति में किसी भी तरह की रुकावट न करें। आखिरी छोर के किसानों तक पानी पहुंचने देना सामूहिक जिम्मेदारी है, जिससे सभी किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें और संकट से उबर सकें।
कड़क ठंड में किसान परेशान
वर्तमान में ठंड के मौसम में किसान खेतों की फसल बचाने के लिए पानी की प्रतीक्षा में हैं। पानी न मिलने के कारण फसलें सूखने की कगार पर हैं और किसान चिंतित हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए और नहरों में पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।