प्रकृति का कहर:कटनी जिले मैं तेज बारिश से धान हुआ बर्बाद, किसानों पर संकट के बादल।
धान खरीदी केंद्रों में रखी फसल को बारिश ने किया खराब, मुआवजे और बेहतर व्यवस्था की मांग।
कटनी, मध्यप्रदेश:
अचानक हुई तेज बारिश ने कटनी जिले के किसानों के लिए भारी संकट खड़ा कर दिया है। धान खरीदी केंद्रों में रखी हजारों क्विंटल धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। इसके अलावा, जिन गरीब किसानों की फसल की तुलाई अब तक नहीं हो पाई थी, उनकी मेहनत पर भी पानी फिर गया। इस अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा ने न केवल किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, बल्कि खरीदी केंद्र प्रभारियों के सामने भी गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
प्राकृतिक आपदा का प्रभाव
धान खरीदी केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी और समय पर परिवहन की धीमी प्रक्रिया ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया। बारिश ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि उनके भविष्य की योजनाओं पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। केंद्रों पर पॉलिथीन कवर और सुरक्षित भंडारण की कमी ने यह साबित कर दिया है कि ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए पुख्ता प्रबंधन नहीं है।
किसानों की मांगें
प्रभावित किसानों ने शासन और प्रशासन से तुरंत मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि:
1.फसल नुकसान का उचित मुआवजा: प्रत्येक किसान को उनकी नष्ट हुई फसल का तुरंत आकलन कर मुआवजा दिया जाए।
2.भविष्य के लिए पुख्ता व्यवस्था: खरीदी केंद्रों पर सुरक्षित भंडारण, पॉलिथीन कवर और समय पर परिवहन सुनिश्चित किया जाए।
3.आपदा प्रबंधन योजना: भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए एक प्रभावी आपदा प्रबंधन योजना बनाई जाए।
प्रभारियों की प्रतिक्रिया
धान खरीदी केंद्र प्रभारियों का कहना है कि उनकी ओर से हरसंभव प्रयास किए गए थे, लेकिन तेज बारिश के सामने वे असहाय महसूस कर रहे हैं। केंद्रों पर न तो पर्याप्त श्रमिक थे और न ही फसल को बचाने के लिए कोई वैकल्पिक उपाय। उन्होंने यह भी कहा कि समय पर परिवहन न होने के कारण भारी नुकसान हुआ।
प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल
इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हर साल किसानों को प्रकृति के कहर का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। किसानों का कहना है कि समय पर फसल का परिवहन होता तो उनकी मेहनत बच सकती थी।
किसानों की दुर्दशा
इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हमने पूरे साल मेहनत की, लेकिन एक ही झटके में सब खत्म हो गया। अब परिवार कैसे चलेगा?" कुछ किसानों ने यहां तक कहा कि उन्हें बैंक कर्ज चुकाने में भी समस्या होगी।
भविष्य की राह
किसानों की इस समस्या को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है। अब देखना यह है कि प्रशासन उनकी मांगों को कब और कैसे पूरा करता है। प्रभावित किसानों की सहायता के लिए केंद्र और राज्य सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे।
यह संकट इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अगर समय रहते इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए ठोस उपाय नहीं किए गए, तो कृषि क्षेत्र पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।