विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण: आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार की ओर कदम।

 विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण: आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार की ओर कदम।

कटनी, 23 दिसंबर

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की आत्मनिर्भर भारत और स्वावलंबन की मंशा के अनुरूप शासकीय आर.के. गौतम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मुरवारी (विकासखंड ढीमरखेड़ा) में विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है।

       प्रशिक्षण का संचालन और मार्गदर्शन

प्राचार्य संघ के रत्न भेलावे के मार्गदर्शन में यह प्रशिक्षण आयोजित किया गया, जिसमें जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे ने मुख्य भूमिका निभाई। प्रशिक्षण में जैविक खेती के महत्व और मानव स्वास्थ्य, भूमि, तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों पर विशेष जोर दिया गया।

                 प्रशिक्षण के मुख्य बिंदु

1.जैविक खेती की आवश्यकता और महत्व

मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को रासायनिक उर्वरकों से होने वाले नुकसान की जानकारी दी गई।

फसलों के लिए आवश्यक प्राथमिक, द्वितीयक, और सूक्ष्म पोषक तत्वों की पहचान और उपयोग सिखाया गया।

2 कम लागत वाली तकनीक: जीरो बजट फार्मिंग

ग्राम स्तर पर उपलब्ध संसाधनों जैसे गोबर, फसल अवशेष, खरपतवार, और पत्तियों से जैविक खाद और कीटनाशक बनाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इस तकनीक से पैसों की बचत और बाजार पर निर्भरता कम करने का उपाय सुझाया गया।

3 जैविक खाद और कीटनाशक निर्माण

गोबर कंपोस्ट, नाडेप टांका खाद, केचुआ खाद, हरी खाद, नीलहरित काई, बायोगैस स्लरी, और सींग खाद बनाने की विधि।

मटका खाद, जीवामृत, और घन जीवामृत जैसे जैविक उत्पादों का निर्माण।

जैविक कीटनाशकों जैसे गोमूत्र आधारित कीटनाशक और पांच पत्ती काढ़ा बनाने की प्रक्रिया।

4 कीट और रोग नियंत्रण

विभिन्न फसलों पर लगने वाले कीट और रोगों की पहचान।

जैविक विधियों से उनके नियंत्रण की तकनीक।

             स्वरोजगार की दिशा में कदम

विद्यार्थियों को सिखाया गया कि जैविक खेती की यह तकनीक कम लागत में कैसे अधिक उत्पादन कर सकती है। इसके साथ ही, इसे स्वरोजगार के एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया।

                सहयोग और सहभागिता

प्रशिक्षण के दौरान व्यावसायिक शिक्षक देवेंद्र नगपुरे ने विशेष सहयोग दिया।

यह कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को जैविक खेती की तकनीक सिखाने में सफल रहा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान करने के लिए प्रेरित भी किया।


प्रधान संपादक: अज्जू सोनी
संपर्क सूत्र: 9977110734

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