फिर खुलेंगी 3000 करोड़ के ई-टेंडर घोटाले की फाइलें।
नेता-अफसर आएंगे जांच के घेरे में।
भोपाल, विशेष रिपोर्ट।
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित 3000 करोड़ रुपए के ई-टेंडर घोटाले की फाइलें एक बार फिर से खुलने जा रही हैं। इस मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की विशेष अदालत ने घोटाले की जांच को दोबारा शुरू करने के आदेश दिए हैं। अदालत के इस फैसले ने उन नेताओं और अफसरों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिनके नाम इस मामले में पहले ही सामने आ चुके हैं। इनमें प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और उनके सहयोगियों का नाम प्रमुख है।
मामले की टाइमलाइन
2018: शिवराज सरकार के दौरान ई-टेंडर घोटाला उजागर हुआ। इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंपी गई।
2018: कमलनाथ सरकार ने जांच को आगे बढ़ाया और एफआईआर दर्ज की।
2022: शिवराज सरकार के दौरान सबूतों की कमी का हवाला देते हुए केस बंद कर दिया गया।
2024: विशेष न्यायालय ने मामले को पुनः खोलने और नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया।
क्या है ई-टेंडर घोटाला?
ई-टेंडरिंग घोटाले का मामला अप्रैल 2018 में तब सामने आया, जब मध्यप्रदेश जल निगम के तीन टेंडरों में हेरफेर पकड़ी गई। आरोप है कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल को हैक कर कंपनियों ने टेंडरों की राशि में 1769 करोड़ रुपए की हेरफेर की। यह भी आरोप है कि कुछ सरकारी अधिकारियों ने मिलीभगत कर अपनी पसंदीदा कंपनियों को टेंडर दिलवाए।
कैसे हुआ घोटाला?
1.हैकिंग और टेम्परिंग:
टेंडर पोर्टल पर फर्जी इनक्रिप्शन सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया गया।
रेड क्रॉस के निशान से टेम्परिंग का पता चला।
2.फर्जी डेमो आईडी का उपयोग:
टेंडर टेस्ट के दौरान डेमो टेंडर भरे गए और बाद में उन्हें बदला गया।
3.पसंदीदा कंपनियों को टेंडर:
प्रक्रिया में बदलाव कर मनचाही कंपनियों को अनुबंध दिए गए।
घोटाले में कौन-कौन आरोपी?
कंपनियां:
मेसर्स जीवीपीआर इंजीनियर्स लिमिटेड, हैदराबाद
दि इंडियन ह्यूम पाइप लिमिटेड, मुंबई
मेसर्स जेएमसी प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड, मुंबई
मैक्स मेंटेना माइक्रो जीवीपी, हैदराबाद
अधिकारियों और नेताओं के नाम:
नरोत्तम मिश्रा के निज सहायक और ओएसडी
जल निगम और अन्य विभागों के टेंडर ओपनिंग अधिकारी
पुनः जांच के निर्देश
1.ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल से जुड़े वीपीएन लॉग्स और डेटा की जांच।
2.आईपी एड्रेस और ट्रैफिक का विश्लेषण।
3 संबंधित विभागों से मूल फाइलें और दस्तावेज एकत्र करना।
4 सभी संदिग्ध अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ।
राजनीतिक और प्रशासनिक असर
विशेष अदालत के आदेश के बाद पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। घोटाले की सच्चाई सामने आने पर कई बड़े नेता और अफसर जांच के दायरे में आ सकते हैं।
विशेष रिपोर्ट
ई-टेंडरिंग व्यवस्था को भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए 2014 में लागू किया गया था, लेकिन 2018 में यह घोटाला उजागर हुआ। इससे मध्यप्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे।