महान संत प्रजापिता ब्रह्मा बाबा: ज्ञान सागर के रथ बने महापुरुष की 148वीं जयंती मनाई गई।
ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र द्वारा आध्यात्मिक सशक्तिकरण दिवस के रूप में हुआ आयोजन।
विदिशा, ग्रामीण खबर एमपी:
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, चर्च वाली गली वरेठ रोड स्थित सेवा केंद्र द्वारा प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 148वीं जन्म-जयंती को "आध्यात्मिक सशक्तिकरण दिवस" के रूप में उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी और रेखा दीदी ने अपने प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत किए।
ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज) न केवल एक महापुरुष थे बल्कि ज्ञान सागर, सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा के रथ के रूप में कार्यरत रहे। उन्होंने ईश्वर के महावाक्यों को सहज और सरल भाषा में हम सबके सामने प्रस्तुत किया, जिससे उन्होंने माता का वात्सल्य और पिता का प्यार हम सभी को दिया। उन्होंने ब्रह्मा बाबा के जीवन की पुस्तक "जीवन को पलटाने वाली अद्भुत जीवन कहानी" पढ़ने की अपील की, जो उनके जीवन दर्शन को समझने का एक मार्ग है।
ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ब्रह्मा बाबा का जीवन एक प्रेरणा स्रोत है। उनके 84 जन्मों का अध्ययन हमें यह सिखाता है कि जीवन को दिव्य बनाने के लिए आत्म-परिवर्तन और ईश्वर की शिक्षाओं का अनुसरण करना कितना आवश्यक है। उन्होंने बाबा के 1936 के उस ऐतिहासिक निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने अपने व्यवसाय को त्यागकर मानवता की सेवा के लिए जीवन समर्पित कर दिया।
ब्रह्मा बाबा, जिन्हें दादा लेखराज के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 1880 में एक विनम्र परिवार में हुआ था। उन्होंने कोलकाता में हीरे-जवाहरात के व्यवसाय में अद्वितीय सफलता प्राप्त की और बाद में सामाजिक और आध्यात्मिक नेतृत्व की ओर प्रेरित हुए। 1936 में, 60 वर्ष की आयु में, उन्होंने गहरी आध्यात्मिक अनुभूतियों के बाद अपना जीवन ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया।
1937-38 के दौरान, उन्होंने 8 युवा बहनों की एक व्यवस्थापकीय समिति बनाई और अपनी संपूर्ण चल-अचल संपत्ति ट्रस्ट को समर्पित कर दी। बाबा ने अपनी शिक्षाओं से मानवता को प्रेम, शांति और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी सदस्यों ने बाबा को शत्-शत् नमन किया और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर सेवा केंद्र में विशेष ध्यान सत्र और आध्यात्मिक चर्चा भी आयोजित की गई।