ब्रह्मचारिणी बहनें चैतन्य में नव देवीयों का रूप लेकर विराजित हुई।
देवियां हिंसक नहीं अहिंसक होती हैं।
हमें सुख, शांति चाहिए तो पवित्रता को जीवन में अपनाना होगा- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी।
विदिशा:-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चार दिवसीय चैतन्य देवियों का दरबार सजाया गया। जिसने सभी भक्तों का मन मोह लिया, हम दूर-दूर तक पहाड़ों पर जाते हैं देवियों के दर्शन करने यहां पर साक्षात देवियों का दरबार सजाया गया है सजी सजाई ब्रह्मचारिणी बहनें चैतन्य में नव देवियों का रूप लेकर विराजित हुई यह दृश्य बहुत ही मनोरम था। ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने नवरात्रि का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए कहा की भारत में दो रात्रि प्रचलित हैं एक शिवरात्रि दूसरा नवरात्रि और इस नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है जब मानव पांच विकारों के वशीभूत होता है अपनी सच्ची सुख शांति को खो बैठता है उस समय परमात्मा को दिव्य कर्तव्य हेतु ब्रह्मचारी आत्माओं की आवश्यकता होती है इसके लिए कन्या शुद्ध पवित्र बाल ब्रह्मचारी दिव्य होती हैं उनका भगवान शिव आहवान करते है, जो अष्टभुजाधारी देवियां हैं उनके नाम से ही उनके गुण और शक्तियों का अर्थ सहज निकलता है जैसे मां दुर्गा दुर्गुणों का नाश करने वाली, संतोषी देवी माना संतुष्टता की देवी, उमा देवी सदा ही उमंग उत्साह से भरपूर करने वाली, वैष्णो देवी माना विषय विकारों पर विजय प्राप्त करने का वरदान देने वाली, मीनाक्षी देवी अर्थात समय का तीसरा नेत्र प्रदान करने वाली, सरस्वती देवी सर्व को ज्ञान बुद्धि का वरदान देने वाली, देवियों हमें सुख शांति देने वाली हैं यह देवियां हिंसक नहीं अहिंसक हैं इनके हस्तो में अस्त्र-शस्त्र दिखाएं हैं इसका वास्तविक अर्थ यही है की बुराइयों से विजय प्राप्त कराने वाली है। अर्थात् जब परमात्मा आकर अपना सत्य परिचय देकर दिव्य गीता ज्ञान सुनाते हैं पवित्र बुद्धि होने के कारण ज्ञान अमृत से संभव हो जाता है और दिव्य जीवन बनने लगता है क्योंकि परमात्मा का कार्य ही है सुख शांति की दुनिया बनाना और उसका फाउंडेशन है पवित्रता क्योंकि रावण का काम है दुख अशांति देना जिसका फाउंडेशन है आपवित्रता। हमें सच्ची सुख शांति चाहिए तो इसके लिए पवित्रता को निश्चित ही अपनाना होगा अतः व्यक्तित्व सर्वत्र ब्रह्माकुमारी सच्ची देवी है उनका सम्मान करना ही सर्व वरदानों से स्वयं को भरपूर करना है ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने बताया कि यह जो चेतन में देवियों बनकर बैठी हैं यह ब्रह्मचारी और तपस्वी बहने हैं जो चार-चार घंटा एक ही स्थिति में सहज तरीके से बैठ सकती हैं यह राजयोग का अभ्यास करती हैं जिससे इन्हें यह शक्ति मिलती है कार्यक्रम मैं बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति रखी थाना प्रभारी सुदामा सिंह, रामस्वरूप चौकसे, राजेन्द्र सेठ, श्रीराम रघुवंशी ऐरण खजूरी वाले ,अधिक संख्या में भाई बहनों ने कार्यक्रम का लाभ लिया।