संभागायुक्त करे जांच तो पूर्व के कई कारनामों से उठेगा पर्दा, भ्रष्टाचार का दूसरा नाम रामचंद्र यादव, पूर्व में दैगवां महगवां में रहते हुए जमकर बटोरी सुर्खियां

 संभागायुक्त करे जांच तो पूर्व के कई कारनामों से उठेगा पर्दा, भ्रष्टाचार का दूसरा नाम रामचंद्र यादव, पूर्व में दैगवां महगवां में रहते हुए जमकर बटोरी सुर्खियां।

ढीमरखेड़ा | जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पूर्व में पदस्थ रामचंद्र यादव दैगवां - महगवां में रहते हुए जमकर बटोरी सुर्खियां, लिहाज़ा इनके द्वारा जो निर्माण कार्य किए गए थे उनमें जमकर अनियमितता बरती गई थी जिसके चलते इनको सस्पेंड कर दिया गया था। जब ये सस्पेंड हों गए थे तो इतने जल्दी कैसे बहाल हो गए जिसमें उच्च - अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। स्मरण रहे कि इनके द्वारा उच्च - अधिकारियों को लक्ष्मी देकर फाइल को दबाकर पद से बहाल कर दिया गया। 

           बिना गड्ढे के शौचालय बने नमूना

ग्राम पंचायत दैगवां महगवां में रहते हुए जिनके शौचालय आए हुए थे वो नमूना के रुप में बने हुए हैं। जब इनकी तहकीकात की गई तो पाया गया कि नीचे तो गड्ढा ही नहीं हैं बल्कि बिना गड्ढे के शौचालय का निर्माण किया गया है। लिहाज़ा नियमानुसार शौचालय का निर्माण होना चाहिए ताकि सरकार की योजना जो चल रही है उसमें भ्रष्टाचार की मुहर ना लगे लेकिन भ्रष्टाचार की मुहर लगाई गई हैं। जब गड्ढा ही शौचालय में नहीं हैं तो सोचा जा सकता हैं कि कितना अच्छा निर्माण कार्य किया गया होगा। 

          आवास बने अधूरे, नहीं पड़ी छत

विदित हैं कि इसी प्रकार का कार्य आवासों में हुआ हैं जहां कि निर्माण कार्य हुए ही नहीं और पैसा निकल गया। लिहाज़ा जब निर्माण कार्य हुआ ही नहीं पूरा तो किश्त कैसे निकल गई जिसमें रामचंद्र यादव संदेह के घेरे में हैं। अब इस सरकार की योजना में भ्रष्टाचार के चलते सब कुछ संभव हैं। जहां रामचंद्र यादव जैसे सचिव हों वहां भला क्या संभव नहीं हैं। पूर्व में ग्रामीणों के द्वारा यह भी आरोप लगाया गया था कि मकान बने नहीं और किश्त निकल गई थी इसकी जांच उच्च - स्तरीय हों तो कई कारनामों से पर्दा उठेगा।

  ग्रामीण विकास मंत्रालय से आनी चाहिए जांच, तभी कारनामों से उठेगा पर्दा

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के तहत अकुशल मजदूरों को मनरेगा और नरेगा में श्रमिको को रोज़गार दिया जाता हैं, बहरहाल सचिव रामचंद्र यादव के द्वारा पूर्व में मनरेगा में फर्जी हाजरी लगाई गई थी ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया जिसकी शिकायत ग्रामीण विकास मंत्रालय में की गई है और बहुत जल्द इनके ऊपर कार्यवाही की तलवार लटकेगी। जहां अकुशल मजदूरों के रोज़गार का साधन हैं नरेगा और मनरेगा योजना वही सचिव रामचंद्र यादव जैसे ज़िम्मेदार फर्जी हाजरी लगाकर खुद को और अपने निजी संबंधियों को लाभ पहुंचा रहे थे जो कि इस तरह की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में हैं। 

     जहां - जहां पदस्थ रहे जमकर सुर्खियां बटोरी

  सचिव रामचंद्र यादव के कारनामें जगजाहिर है जिस पंचायत में ये पदस्थ रहे जमकर शासन की राशि की होली खेली गई एवं पैसों का गबन किया गया। लिहाजा सूत्रों के द्वारा बताया गया कि सचिव रामचंद्र यादव इतनी होशियारी से कार्य करता हैं कि अधिकारी भी समझ ना पाए और अगर समझ जाते हैं तो अधिकारियो को ही उलझा देता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। ग्राम पंचायत दैगवां - महगवां में रहते हुए सचिव रामचंद्र यादव के द्वारा पदस्थ रहते हुए इनके द्वारा फर्जी हाजरी का खेल - खेला गया था और सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को अपनी निजी योजना समझकर भुगतान कर लिया गया एक ओर शासन को चूना लग रहा हैं वही फर्जी पैसों को आहरित करके सचिव रामचंद्र यादव जैसे लोगों के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं।

 जिला पंचायत सीईओ नहीं संभागायुक्त करे जांच

अब इनके कारनामों की गाथा जिला पंचायत सीईओ नहीं बल्कि संभागायुक्त जांच तलब करके खुद जांच करे तो कई कारनामों से पर्दा उठेगा। क्यूंकि जनता की सेवा के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सचिव की नियुक्ति होती हैं। प्रशिक्षण में इनको जनता की सेवा और कार्य - कौशल के विषय में दक्ष किया जाता हैं लेकिन योजना में भ्रष्टाचार की मुहर कार्य करने नहीं देती हैं। योजना में अनियमितता को लेकर अलग से कर्मचारी की नियुक्ति कर ली जाती हैं ताकि लोकायुक्त में फस ना सकें। इनके कार्यकाल की जांच उच्च - स्तरीय अधिकारी संभागायुक्त जांच तलब करे तो कई कारनामों से पर्दा उठेगा।

ईओडब्ल्यू की हों जांच तो संपत्ति से उठेगा पर्दा

सचिव रामचंद्र यादव का जब मानदेय सीमित है तो इनके पास इतनी संपत्ति आई कहां से जो कि संदेह के घेरे में हैं। योजनाओ और जनता के पैसे को अपनी जेब में रखकर चंद - दिनो के अंदर लखपति बन गए। जिस तरह से जनता के पैसे को अपनी जेब में रखकर चंद - दिनों के अंदर लखपति बन गए इसकी जांच तलब होनी चाहिए ताकि इनके जो बैंक बैलेंस और अन्य गोपनीय चीजे है उनसे पर्दा उठे। अब समाचर प्रकाशन के बाद देखना होगा कि इनके ऊपर क्या कार्यवाही होती हैं।


              चीफ एडिटर:-अज्जू सोनी

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