इंजीनियर पंकज शुक्ला की मनमानी ढीमरखेड़ा में चरम पर थी यहीं हाल रीठी में रहेगा इनकी कार्यप्रणाली से वहां भी सरपंच सचिव रहेंगे परेशान।
ढीमरखेड़ा | जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा में बहुचर्चित रहे इंजीनियर पंकज शुक्ला की मनमानी चरम पर थी लिहाज़ा इनके द्वारा कमीशन का खेल इस तरह खेला जाता था कि सरपंच और सचिव बेहद परेशान रहते थे, स्मरण रहे कि एक ताजा मामला ग्राम पंचायत का उजागर हुआ कि सड़क तो बनी ही नहीं और राशि आहरित हों गई जब इसकी शिक़ायत ग्रामीणों के माध्यम से अधिकारियों तक पहुंची तो अधिकारी बेहद परेशान हों गए कि आखिर यह मामला क्या हैं जब जांच हुई तो पाया गया कि मामला जो ग्रामीणों के द्वारा उठाया गया था वह सही हैं। अब एक ही पंचायत से अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि इनकी कार्यप्रणाली किस - तरह की थी।
इंजीनियर की मिलीभगत से खेत - तालाब का निकला पैसा
यह मामला ग्राम पंचायत पोड़ी खुर्द का हैं लिहाज़ा जानकर हैरानी होगी कि कैसे पैसा निकल गया लेकिन खेत - तालाब का पैसा निकल गया हैं और हितग्राही भी बेहद परेशान हैं कि आखिर यह पैसा कैसे निकल गया हैं। विदित हैं कि जब खेत - तालाब बना ही नहीं हैं तो पैसा कैसे निकल गया जिसमें इंजीनियर पंकज शुक्ला की मनमानी साफ - समझ में आती हैं। उस समय सचिव जगदीश पटैल मौजूद थे। हितग्राही अनेकों जगह शिकायत किया लेकिन जांच आज दिनांक तक नहीं पहुंची होगी भी कैसे जांच जब उच्च - अधिकारियों की मिलीभगत से सारी घटना को अंजाम दिया जा रहा था। इस तरह की घटना होने की सबसे बड़ी वजह हैं कि साहब ऑफिस में बैठकर सारे कार्य करते हैं जिसके कारण इस तरह का खेल भ्रष्टाचार का निकल के आ रहा हैं।
पत्थर का चूरा, घटिया मटेरियल का पंचायतों में हों रहा कार्य
वैसे तो जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा में भ्रष्टाचार के मामले सामने निकलकर सामने आना कोई नई बात नही हैं, क्योंकि इस तहसील के राजनेताओं की राजनीति शून्य है इसलिए यहाँ अधिकारी कर्मचारियों मनमानी करने में कभी चूकते नहीं हैं। इसका फायदा भी भरपूर उठाने में माहिर हैं। काम के नाम पर मौके पर मात्र गड्ढे ही दिखाई देते हैं। वहीं मटेरियल इतना घटिया डलवाया गया कि आप सोच भी नहीं सकते, क्योंकि अभी तक आपने बालू नदी और नालों की उपयोग में आते देखी होगी, लेकिन यहाँ पर पदस्थ सब के भ्रष्टाचारी दिमाग ने रेत की नई खोज कर ली और रेतीले पत्थरों से निकली रेत उपयोग में लाने का प्लान भी बना लिया। ना बालू खरीदने की झंझट और ना ही किसी को पैसे देने की। ग्राम पंचायतो की सारी जानकारी इंजीनियर पंकज शुक्ला को विदित हैं। जब कोई भी इनसे किसी भी बात को लेकर प्रश्न करते हैं तो ये अपनी ईमानदारी का गुणगान पहले गाते नज़र आते हैं। इंजीनियर पंकज शुक्ला अपने आपको ईमानदार कहते नजर आते हैं और अपने काम को साफ-स्वच्छ कहने लगते हैं। स्मरण रहे कि जब इस तरह का कार्य इंजीनियर पंकज शुक्ला के द्वारा किया जाता हैं तो पंचायतों में निर्माण कार्य कितने अच्छे होते होगे इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता हैं। इस तरह की कार्यप्रणाली इंजीनियर पंकज शुक्ला की संदेह के घेरे में हैं।
सगौना के निर्मित गुणवत्ताहीन तालाब को देखकर आश्चर्य चकित रह गए जिला पंचायत के सीईओ श्री गेमावत
इंजीनियर पंकज शुक्ला के द्वारा सगौना में भी इस तरह का कार्य कराया गया कि जिला पंचायत सीईओ आश्चर्य में पड़ गए कि यह कार्य कैसे हुआ हैं। जिला पंचायत सीईओ ने पाया कि 14.99 लाख रुपए की राशि से स्वीकृत तालाब पर पोर्टल के अनुसार 13.59 लाख रुपए खर्च किए गए जो कि तालाब निर्माण कार्य की स्थिति तकनीकी मानकों के अनुरूप स्थल चयन सहित अनुपयोगी थी। लिहाज़ा इंजीनियर पंकज शुक्ला की सभी मानकों को देखते हुए कार्य कराना चाहिए तो नियमों को ताक में रखकर इनके द्वारा कार्य को किया गया जो कि संदेह के घेरे में हैं।
ईओडब्ल्यू की हों जांच तो कारनामों से उठेगा पर्दा
अगर ईमानदारी से कार्य अपनी नौकरी में किया गया होगा तो खुद पता चलेगा कि इनके पास आखिर कितनी संपत्ति हैं। अगर आय से अत्यधिक संपत्ति पाई गई तो इनके ऊपर जांच तलब होनी चाहिए। कमीशन के खेल के कारण इनके पास अत्यधिक संपत्ति है, अगर इनके ऊपर उच्च - स्तरीय जांच तलब हों जाए तो कई कारनामों से पर्दा उठेगा।