जलसंसाधन विभाग में कोई अधिकारी नहीं रहते उपस्थित, नियमों को ताक में रखकर हो रहा कार्य।
ढीमरखेड़ा | जलसंसाधन विभाग की मनमर्जी चरम पर है तब तो कार्यालय में अधिकारी उपस्थित नहीं रहते हैं। कार्यालय में अधिकारियों के उपस्थित ना होने के कारण किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं लिहाज़ा किसानों का कहना हैं कि अगर हमको कोई भी समस्या हैं तो आखिर हम अपनी समस्या सुनाने कहा जाए। स्मरण रहे कि जलसंसाधन विभाग का कार्यालय गर्राघाट में हैं सूत्रों ने बताया कि कार्यालय में अधिकारी 15 अगस्त और 26 जनवरी को बस उपस्थित रहते हैं बाकि समय कहा रहते हैं किसी को अवगत नहीं हैं। विदित रहे कि कार्यालय की कमान संभालने के लिए एक कर्मचारी को रखा गया है वह भी समय अनुसार उपस्थित नहीं रहता अपनी मनमर्जी के मुताबिक़ आता हैं आए भी क्यूं ना क्यूंकि जब विभाग के अधिकारी खुद उपस्थित नहीं रहते तो कर्मचारी कैसे समय से उपस्थित रहेंगे। वहीं जब किसानो के द्वारा पूछा जाता हैं कि कार्यालय नहीं खुलता तो अधिकारियों के द्वारा एक टूक में कह दिया जाता हैं कि आपको काम क्या हैं ये बताओ आपका काम होना चाहिए और यह भी कह दिया जाता हैं कि हम लोग फील्ड में रहते हैं क्या अधिकारी बिना कार्यालय में उपस्थित हुए फील्ड में चले जाते हैं जो कि इस तरह की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में हैं। जल संसाधन क्षेत्र में समग्र - योजना, नीति निर्माण, समन्वय और मार्गदर्शन सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और बहुउद्देशीय परियोजनाओं वृहत मध्यम का तकनीकी मार्गदर्शन, संवीक्षा, स्वीकृति प्रदान करना और निगरानी करना।विकास के लिए सामान्य अवसंरचनात्मक, तकनीकी और अनुसंधान सहायता देना लघु सिंचाई और कमान क्षेत्र विकास के संबंध में समग्र नीति निर्माण, योजना और मार्गदर्शन, केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं का संचालन और निगरानी तथा भागीदारी सिंचाई प्रबंधन को बढावा देना। भूमि-जल संसाधनों के विकास हेतु समग्र योजना, उपयोग करने योग्य संसाधनों की स्थापना तथा अन्वेषण हेतु नीतियां बनाना और भूमि-जल विकास में राज्य स्तरीय कार्यकलापों की निगरानी और सहायता करना। नदियों के जल, जल संसाधन विकास परियोजनाओं और सिंधु जल संधि को लागू करना तथा किसानों के साथ बातचीत और तालमेल बनाना, बहरहाल जलसंसाधन विभाग के ये कार्य हैं लेकिन जब अधिकारी ही उपस्थित नहीं रहते तो कैसे कार्य पूर्ण होंगे जो कि संदेह के घेरे में हैं।
नहर विभाग के मरम्मत कार्य में की गई लीपापोती, किसानों में आक्रोश
ढीमरखेड़ा क्षेत्र में जो जलसंसाधन जलाशय की बांध मरम्मत एवं नरह सुदृढ़ी का कार्य किया गया है उसमें भारी अनियमितता हैं। पूर्व से ही निर्माण में गुणवत्ताहीन कार्य किए जाने की शिकायत किसानों द्वारा की जा रही है लेकिन इसके बावजूद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
टूट कर बिखर रही नहर
किसानों ने बताया कि नहरों की स्थिति वर्तमान में यह है कि बनने के चार दिन बाद ही यह फिर से टूटने लगी है। किसानों की खुशहाली समुद्धि के लिए इस जनकल्याणकारी योजना जिम्मेदारों के द्वारा पलीता लगाया जा रहा है। किसान पानी की आस में टकटकी लगाकर बैठा है वहाँ विभागीय ढीलपोल एवं गुणवत्ताहीन कार्य को देखकर उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
अनेकों गांवों के किसानों को मिलता है पानी
किसानों का आरोप है कि ठेकेदार की गफलत वाजी और विभाग के ढुलमुल रवैया के चलते क्षेत्रीय किसानों को चिंता सता रही रहे है जिसके चलते अब किसानों में आक्रोश हो रहा है गफलत बाजी को सुधारने तथा गुणवत्ता युक्त निर्माण को लेकर किसानों ने वरिष्ठ विभाग अधिकारियों से नहर निर्माण की शिक़ायत का प्रावधान बनाया हैं।
किसान देते हैं पैसा फिर भी झेल रहे समस्या
किसानों को जो पानी मिलता हैं उसका पैसा जलसंसाधन विभाग को समयानुसार दे दिया जाता हैं लिहाज़ा अधिकारियों के द्वारा नहर में साफ़ - सफाई तक नहीं कराई जाती हैं लेकिन पैसा समय से वसूला जाता हैं। नहर में झाड़िया भी लगी हुई हैं जिसकी साफ़ - सफ़ाई नहीं की गई। साफ़ - सफाई नहीं होने से नहर में दुर्गन्ध आती हैं लिहाज़ा ऐसी परिस्थितियों से किसान बेहद परेशान हैं नहर के टूटने के कारण पानी के आवागमन में भारी दिक्कत होती हैं जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।