हरदी सचिव गोपाल सिंह धुर्वे के रवैये से त्रस्त हैं ग्रामवासी,बिना काम के लग रहे फर्जी बिल
ढीमरखेड़ा | पंचायत की जो भी राशि हैं उसको निकालकर अपने निजी खर्चे में लगाऊंगा उक्त शीर्षक पढ़कर दंग मत होना यह मामला है जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा की ग्राम पंचायत हरदी का, लिहाज़ा ग्राम पंचायत सचिव गोपाल सिंह धुर्वे ने बिना निर्माण कार्य के राशि को निकालकर आहरित कर लिया। जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हरदी में पदस्थ सचिव गोपाल सिंह धुर्वे की कार्यप्रणाली से ग्रामवासी बेहद त्रस्त हैं। सचिव के द्वारा मनमाने तरीके से फर्जी बिल लगाकर राशि आहरित की जा रही हैं।
ग्राम पंचायत हरदी में लगा गंदगी का अंबार
जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हरदी में गंदगी का अंबार लगा हुआ हैं। लक्ष्मी पटैल के घर के पास नाली का निर्माण नहीं किया गया जिसके कारण गंदगी का अंबार लगा हुआ हैं। लिहाज़ा इस गंदगी से परेशान होकर ग्रामीण 181 में भी शिक़ायत कर रहे हैं अब सोचा जा सकता हैं कि हरदी के ग्रामीण आखिर किस - हद तक परेशान हैं। साफ - सफाई के नाम पर फर्जी बिल लगाएं गए हैं, जब इस विषय की सूचना ग्रामीणों से ली गई तो बताया गया कि साफ - सफाई के नाम पर फर्जी बिल लगाएं जा रहे हैं लिहाज़ा इन फर्जी बिलों की जांच तलब होनी चाहिए। स्मरण रहे कि गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए पंचायती राज का गठन किया गया है, ताकि समस्या को गांव के लोग आपस मे मिलकर सुलझा सके और गांवों की छोटी, मोटी समस्या को पंचायत के सरपंच-सचिव, ग्रामवासी मिलकर दूर कर सकें। इसके लिए ग्राम पंचायत में मूलभूत चौदहवें वित्त व पंचायत को टैक्स वसूली की योजनाओं से पंचायत के खाते में राशि आती है, जिससे पंचायत की आवश्यकता अनुसार खर्च किया जाता है लेकिन ग्राम पंचायत हरदी में इस योजना का पैसा विकास के बजाय फर्जी बिल लगाकर किया गया है, जो सरकार व जनता के पैसे को सरपंच, सचिव व संबंधित विभाग में बैठे आला - अफसर की मिलीभगत दर्शाता है। सरपंच-सचिव द्वारा फर्जी भुगतान कर दिया गया। उक्त व्यक्ति की कोई भी दुकान नहीं है। ग्राम पंचायत में आज भी मूलभूत समस्या बनी हुई है। जिसके समाधान करने के बजाए सरकारी धन का खुला दुरुपयोग सचिव गोपाल सिंह धुर्वे के द्वारा किया जा रहा है। जिस पर कोई भी अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। ग्राम पंचायत के सचिव गोपाल सिंह धुर्वे के द्वारा पंचायती राज अधिनियम को किनारे करते हुए अपने नियम पंचायत में चला रहे हैं। पंचायत में व्यय करने के लिए जो राशि आती है वो राशि पंचायत पदाधिकारियों के लिए चारागाह साबित हो रही है। पंचायती राज अधिनियम के सारे नियम कानून को किनारे कर जिम्मेदार अपना कानून चला रहे हैं लिहाज़ा इसमें कोई अंकुश लगाने वाला नहीं हैं।
शिकायत पर हाेगी कार्रवाई
ग्राम पंचायत हरदी में जिस तरह का कार्य किया जा रहा हैं उससे ग्राम पंचायत हरदी के ग्रामीण बेहद परेशान हैं लिहाज़ा ग्राम पंचायतों के सभी कार्मिकों तथा विकास अधिकारियों का विधिक दायित्व है कि पंचायती राज संस्थाओं के दैनिक कार्य संचालन में विधिक प्रावधानों तथा राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करावे। यदि किसी जिम्मेदार अधिकारी को शिकायत मिलने के उपरांत भी कार्रवाई नहीं की जाती है तथा अन्य स्त्रोतों से शिकायत की पुष्टि होती है तो ऐसे अधिकारी अवचार व अपकीर्तिकर आचरण का दोषी होगा।
शिकायत पर विकास अधिकारी करेंगे जांच
आरोप पत्र तैयार कर सीईओ को भिजवाएंगे
यदि सरपंच कार्यालय से अनुपस्थित है तथा उसका कोई परिजन सरपंच की सीट पर बैठता है, कर्मचारियों को सरपंच की हैसियत बताकर निर्देश करता है या ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड सरपंच को अवलोकन करवाने या हस्ताक्षर करवाने के लिए ग्राम पंचायत कार्यालय से बाहर ले जाता है तो सचिव द्वारा इसकी सूचना पंचायत समिति के विकास अधिकारी को की जाएगी। विकास अधिकारी ऐसे मामले में स्वयं जांच करेंगे तथा पंचायती राज अधिनियम की धारा 38 (1) के तहत सरपंच के विरुद्ध आरोप पत्र तैयार कर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला परिषद को भिजवाएंगे।
गंदगी से फैल रही बीमारियां
जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हरदी की हर गली में कचरे का अंबार लगा हुआ है। सार्वजनिक स्थानों पर कचरे के ढ़ेर लगे हैं। नालियों का पानी सड़कों पर बह रहा है। जिससे कि ग्रामीणों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। हरदी के लक्ष्मी पटैल के घर की बात करे तो यहाँ आधे मोहल्ले में तो नाली ही नहीं बनी है। नालियों और घरों से निकलने वाला गंदा पानी सड़को पर बह रहा है। इसके साथ ही लोगों के घरों के सामने भी जमा हो जाता है। जिससे कि लोंगो को परेशानी होती हैं। पानी निकासी की व्यवस्था ना होने से दिनभर गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है। दो - पहिया वाहन निकलने से लोंगो के ऊपर गंदा पानी उचटता है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी सड़क और नाली का सुधार नहीं हो पा रहा है। गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सफाई नहीं होती है। गांव की हर गली में गंदगी है। गंदा पानी भी सड़कों पर बहता है। मंदिर भी लोग गन्दे पानी से होकर जाते हैं। कई बार तो विवादित स्थिति निर्मित हो जाती है। लोग अपने हाथों से सफाई करते हैं। गंदगी के कारण बहुत सारी समस्याएं हो रही हैं। गाँव में सरकारी स्कूल, आंगनवाड़ी, ग्राम पंचायत, अस्पताल हैं जहाँ लोगों का आना-जाना लगा रहता है। दिन में कई लोग आते हैं और कई बार ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों से शिकायत भी हुई लेकिन सफाई नहीं करवाई गई।हरदी गांव की हर गली में गंदगी तो बहुत है,लेकिन कभी सफाई नहीं होती है। इस गाँव में सफाई तब होती है जब कोई अधिकारी या कोई नेता आते हैं। नहीं तो गाँव ऐसे ही गंदगी से भरा रहता है। गांव में कई स्थानों में मच्छरों का लार्वा पनप रहा है। लोगों में खुजली, बुखार जैसी बीमारियाँ फैली रहती हैं। लोग ईलाज तो कराते हैं लेकिन जल्दी फायदा नहीं होता है। गन्दगी के चलते ग्रामीणों में संक्रामक बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है।
आदिवासी सरपंच होने के कारण सचिव गोपाल सिंह धुर्वे उठा रहा फायदा
स्मरण रहे कि सरकार के द्वारा अनेकों जगह पर सीट आरक्षित की जाती हैं, लेकिन जहां पर शिक्षा का अभाव होता हैं वहां राज कोई और करता है। लिहाज़ा यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है वरन यह ग्राम पंचायत हरदी में हकीकत में देखा जा रहा हैं। बिल लग जाते है लेकिन सरपंच को बिलों के बारे में पता नहीं रहता हैं। इसका ये मतलब हुआ कि सचिव गोपाल सिंह धुर्वे के द्वारा ग्राम पंचायत हरदी का संचालन किया जा रहा हैं। जब इस तरह का कार्य होगा तो अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि ग्राम पंचायत हरदी के कार्य कितने अच्छे होते होगे। अन्य पंचायतो में रहते हुए गोपाल सिंह धुर्वे के द्वारा जमकर घोटाला किया गया और ग्रामीणों के द्वारा शिकायत करने पर रौब झाड़ते हुए नजर आ रहा है। सूत्रो के द्वारा बताया गया कि गोपाल सिंह धुर्वे के पास ग्रामीणों से बात करने का भी लहजा नही है। ग्राम के लोग गोपाल सिंह धुर्वे के पास कोई भी कार्य को लेकर जाते हैं तो बात करने की मर्यादा को भूलते हुए एक टूक में जवाब दे दिया जाता हैं। स्मरण रहे कि गोपाल सिंह धुर्वे के द्वारा निर्माण कार्यों में जमकर पलीथा लगाया गया और बड़ी संख्या में अधूरे कार्य पड़े हुए हैं जो कि आज दिनांक तक पूरे नही कराएं गए। इन्ही सभी घटनाओं के चलते गोपाल सिंह धुर्वे रौब झाड़ते हुए नजर आ रहा हैं और उसके हौसले बुलंद हैं।
*ग्रामीण विकास मंत्रालय से आनी चाहिए जांच, तभी कारनामों से उठेगा पर्दा
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के तहत अकुशल मजदूरों को मनरेगा और नरेगा में श्रमिको को रोज़गार दिया जाता हैं, बहरहाल सचिव गोपाल सिंह धुर्वे के द्वारा मनरेगा में फर्जी हाजरी लगाई गई, ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया जिसकी शिकायत ग्रामीण विकास मंत्रालय में की गई है और बहुत जल्द इनके ऊपर कार्यवाही की तलवार लटकेगी। जहां अकुशल मजदूरों के रोज़गार का साधन हैं नरेगा और मनरेगा योजना वही सचिव गोपाल सिंह धुर्वे जैसे ज़िम्मेदार फर्जी हाजरी लगाकर खुद को और अपने निजी संबंधियों को लाभ पहुंचा रहे हैं जो कि संदेह के घेरे में हैं।
जहां - जहां पदस्थ रहे जमकर सुर्खियां बटोरी
सचिव गोपाल सिंह धुर्वे के कारनामें जगजाहिर है जिस पंचायत में ये पदस्थ रहे जमकर शासन की राशि की होली खेली गई एवं पैसों का गबन किया गया। लिहाजा सूत्रों के द्वारा बताया गया कि सचिव गोपाल सिंह धुर्वे इतनी होशियारी से कार्य करता हैं कि अधिकारी भी समझ ना पाए और अगर समझ जाते हैं तो अधिकारियो को ही उलझा देता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। ग्राम पंचायत हरदी में पदस्थ रहते हुए इनके द्वारा फर्जी हाजरी का खेल - खेला गया था और सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को अपनी निजी योजना समझकर भुगतान कर लिया गया एक ओर शासन को चूना लग रहा हैं वही फर्जी पैसों को आहरित करके सचिव गोपाल सिंह धुर्वे जैसे लोगों के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं।