भारत में महिला सुरक्षा: समस्या और समाधान।महिलाओं के प्रति बदलता नजरिया और बढ़ती चुनौतियां।

 भारत में महिला सुरक्षा: समस्या और समाधान।महिलाओं के प्रति बदलता नजरिया और बढ़ती चुनौतियां।

उमरिया पान, कटनी:

भारत सदियों से महिलाओं को देवी का दर्जा देकर उनकी पूजा करता रहा है। सती, दुर्गा और लक्ष्मी के रूप में उनकी महत्ता को स्वीकार किया गया है। परंतु वास्तविकता यह है कि महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराधों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। आधुनिक समाज में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा आज भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है।

आज महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर कैब चलाने से लेकर बड़ी कंपनियों की सीईओ बनने तक हर भूमिका निभा रही हैं। यह सामाजिक बदलाव पितृसत्तात्मक सोच में परिवर्तन का संकेत देता है, लेकिन यह बदलाव अभी अधूरा है।

पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को वर्चस्व स्थापित करने का हथियार बना दिया गया है। ईव-टीजिंग, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, और घरेलू हिंसा जैसी घटनाएं महिलाओं के आत्मसम्मान और अधिकारों पर प्रहार करती हैं।

    महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता के कारण

1.सामाजिक दबाव:

महिलाओं को सामाजिक प्रतिष्ठा और शर्मिंदगी के डर से अपने साथ हुए अपराधों की रिपोर्ट दर्ज कराने में हिचक महसूस होती है।

2 कानूनी प्रणाली की धीमी प्रक्रिया:

अपराधियों को सजा दिलाने में देरी और पुलिस की अक्षम्य जांच प्रणाली महिलाओं के प्रति अपराधों को रोकने में बाधा बनती हैं।

3.पितृसत्तात्मक मानसिकता:

समाज में आज भी महिलाओं को कमजोर और पुरुषों को श्रेष्ठ मानने की मानसिकता विद्यमान है, जो अपराधों को बढ़ावा देती है।

      महिला सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम

1.शिक्षा और जागरूकता:

स्कूल, कॉलेज और परिवार में लड़कों को यह सिखाया जाना चाहिए कि महिलाओं का सम्मान करना और उनके अधिकारों को मान्यता देना आवश्यक है।

2.फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स:

बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें हों, जो मामलों का निपटारा समयबद्ध तरीके से करें।

3.कड़े कानून और सख्ती से पालन:

महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त कानून बनाने के साथ-साथ उनका कड़ाई से पालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

4.सामाजिक मानसिकता में बदलाव:

महिलाओं को समान अधिकार देने और उनके प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में समाज को काम करना होगा।

           नूपुर धमीजा रंजन का योगदान

डॉ. नूपुर धमीजा रंजन, सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट और "नारी शक्ति: एक नई पहल" की संस्थापक, ने महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के लिए अत्यंत सराहनीय योगदान दिया है। उनका मानना है कि केवल कानूनी बदलाव काफी नहीं हैं, बल्कि समाज की मानसिकता बदलने और न्याय प्रक्रिया में गति लाने से ही महिलाओं की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।

उन्होंने समाज के हर वर्ग तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास किया है कि महिला सुरक्षा केवल एक मुद्दा नहीं, बल्कि यह एक संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है।

                         निष्कर्ष:

भारत में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल कानूनों या अभियानों से संभव नहीं होगा। इसके लिए समाज के हर वर्ग को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा और ठोस कदम उठाना समय की मांग है।


              प्रधान संपादक: 
                अज्जू सोनी
       संपर्क सूत्र:9977110734

Post a Comment

Previous Post Next Post