शिक्षक नारायण मिश्रा करते हैं गाली गलौज, कार्यवाही की डगर पर।
उमरियापान | शिक्षक नारायण मिश्रा नहीं आते समय पर स्कूल अपनी मनमर्जी के मुताबिक़ स्कूल में आना जाना होता हैं वही नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ किया जाता हैं। अनेकों स्कूलों के समाचार प्रकाशन के बाद भी अधिकारी कुंभकरणीय निद्रा में सोएं हुए हैं। जांच भी आती हैं तो कागजों की खानापूर्ति करते हुए जांच को शांत कर दिया जाता हैं। प्राथमिक शाला बार गांव में नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कॉपी-किताब की जगह पर बच्चों के हाथों में झाड़ू दिख रही हैं स्कूल परिसर की सफाई बच्चों से करवाई जाती हैं। कुछ दिन पूर्व पोड़ी खुर्द का मामला शांत ही नहीं हुआ कि ताजा मामला प्राथमिक शाला बार गांव का प्रकाश में आ रहा है। स्कूली बच्चों से काम करवाने का मामला सामने आया है। शिक्षकों द्वारा बच्चों से स्कूल परिसर की साफ - सफाई करवाई जा रही है। जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जहां बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने जाते हैं वही बच्चों के हाथों में झाड़ू दिखना सोच से परे हैं। शिक्षकों की मनमर्जी भी इतनी चरम पर है कि स्कूल आने का कोई समय निर्धारित नहीं है। वही उच्च - अधिकारियों को अपना ध्यान आकर्षित करते हुए मामला को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करना चाहिए।गाली - गलौज की ऑडियो वायरल
एक ऑडियो जमकर वायरल हो रही है जिसमें शिक्षक नारायण मिश्रा गाली - गलौज करते हुए सुर्खियां बटोर रहे है। शिक्षक जहां बच्चों को अंधकार से प्रकाश की ओर लेकर जाता हैं वही शिक्षक नारायण मिश्रा पालकों से गाली - गलौज करते हैं इससे ये पता चलता है कि इनकी कार्यप्रणाली अनुशासनहीनता से पूर्ण है। अब सोचा जा सकता हैं कि जब ये पालकों से इस लहजे में बात कर रहे है तो बच्चो को किस - स्तर की शिक्षा प्रदान करते होगे, जो कि सोच से परे है।अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना अपराध की श्रेणी में आता हैं। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत आरोपी को दोषी माना जाता हैं। इस धारा के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी अभद्र भाषा का प्रयोग करता है तो उसे तीन महीने तक जेल और सेवा समाप्ति का प्रावधान है।
एफ. आई. आर. के बाद भी कार्यवाही से बचे
एफ. आई. आर. होने के बाद भी शिक्षक नारायण मिश्रा के ऊपर कार्यवाही ना होना संदेह से परे हैं। ऐसा लगता हैं मानों जैसे इनको उच्च - अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है या फिर जनप्रतिनिधि दबाव बनाकर शिक्षक नारायण मिश्रा को अपनी पनाह दे रखे हैं। जहां पुलिस के ऊपर आम जनता का विश्वास बना हुआ हैं वही शिक्षक नारायण मिश्रा के ऊपर कार्यवाही ना होना पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। ज़िम्मेदार अधिकारियों को जैसे ही एफ. आई. आर. हुई थी तो तत्काल जांच तलब करके कार्यवाही करना चाहिए था। चंद पैसों के कारण किसी भी मामले में कार्यवाही ना करना पुलिस और जिम्मेदार अधिकारी - कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़े करता है।
नियम के तहत समय से आना चाहिए विद्यालय
विदित हैं कि शिक्षक नारायण मिश्रा को समय से विद्यालय आना चाहिए लेकिन नारायण मिश्रा का स्कूल पहुंचने का कोई समय निर्धारित नहीं है। सक्षम अधिकारी की पूर्वानुमती के बिना कर्मचारी कार्य से अनुपस्थित नहीं रहेंगे लेकिन नियमों को ताक में रखकर नारायण मिश्रा का विद्यालय आना जाना होता हैं। ऐसी अनुपस्थिति के लिए वे किसी वेतन और भत्तों के लिए पात्र नहीं होंगे। बहरहाल नारायण मिश्रा को ऐसी अनुपस्थिति के लिए संतोषजनक स्पष्टीकरण देना होगा।संतोषजनक स्पष्टीकरण ना देने पर अधिकारी उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही कर सकते हैं। यदि इस प्रकार की अनुपस्थिति नियमित रहतीं हैं तो नियम के तहत शिक्षक की नियुक्ति से भारमुक्त अथवा सेवा समाप्ति का प्रावधान हैं। कोई कर्मचारी आदतन देरी से उपस्थित होता है तो सक्षम अधिकारी द्वारा ऐसे किसी उचित दंड दिए जाने के साथ-साथ महीने में तीन दिन का वेतन कटना चाहिए। साथ ही देरी के लिए उनकी एक दिन की आकस्मिक छुट्टी ज़ब्त की जाना चाहिए। यदि ऐसे कर्मचारी के पास कोई आकस्मिक छुट्टी जमा नहीं हो तो सक्षम अधिकारी के निर्णय के अनुसार साधारण अथवा असाधारण छुट्टी ज़ब्त की जाना चाहिए। स्मरण रहे कि शिक्षक नारायण मिश्रा के ऊपर कार्यवाही तो नही हों रही है बल्कि अधिकारियों की कृपा बरस रही हैं।